Anti-Paper Leak Law: परीक्षाओं के मामले में यह साल चुनौतियों से भरा रहा है। फरवरी में यूपी पुलिस भर्ती परीक्षा का पेपर लीक हुआ, फिर यूपी आरओ एआरओ भर्ती, उसके बाद नीट यूजी और यूजीसी नेट। पेपर लीक होने का सिलसिला थमने का नाम ही नहीं ले रहा। इसकी वजह से करोड़ों अभ्यर्थियों का भविष्य संकट में है। लेकिन इस पर रोक लगाने के लिए सख्त कानून बन गया है। एंटी पेपर लीक कानून से इस तरह की दुर्भाग्यपूर्ण घटनाओं को रोकने में मदद मिलेगी। आइए जानते हैं क्या है एंटी पेपर लीक कानून ?
Anti-Paper Leak Law: धोखाधड़ी को रोकने के उद्देश्य से आया कानून
प्रतियोगी परीक्षाओं में हो रही गड़बड़ियों को रोकने के लिए केंद्र सरकार इस लोक परीक्षा (अनुचित साधनों की रोकथाम) अधिनियम, 2024 को 5 फरवरी को लोकसभा में पेश किया था। वहां ये बिल 6 फरवरी को पास हो गया था उसके बाद इसे राज्यसभा में पेश किया गया जहां पर इसे 9 फरवरी को पास करवा लिया गया था। दोनों सदनों से पास होने के बाद इस विधेयक को 13 फरवरी राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू ने मंजूरी दे दी थी। फरवरी में मंजूरी मिलने के बाद केंद्र सरकार ने इस एंटी पेपर लीक कानून को 21 जून की रात से देशभर में लागू कर दिया। आइए जानते हैं कौन- कौन सी परीक्षाएं आती हैं इस कानून के दायरे में ?
Anti-Paper Leak Law:उत्तर पुस्तिकाओं से छेड़छाड़ करने पर सख्त दंड
एंटी पेपर लीक कानून यानी की लोक परीक्षा कानून के दायरे में UPSC, SSC, जेईई, नीट, CUET, रेलवे, बैंकिंग भर्ती परीक्षाएं और एनटीए की तरफ से आयोजित सभी परीक्षाएं आएंगी। अगर अब इन परीक्षाओं में कोई भी किसी भी तरह की गड़बड़ी करता पाया जाएगा। उसके खिलाफ एंटी पेपर लीक कानून के तहत कार्रवाई की जाएगी। आइए जानते हैं कितने सालों की सजा का है प्रावधान ?
Anti Paper Leak Law से बनेगा डर
सार्वजनिक परीक्षाओं में ज्यादा पारदर्शिता लाने परीक्षा में गड़बड़ी करने वालों पर नकेल कसने के लिए ‘लोक परीक्षा कानून-2024’ काफी मदद करेगा। इस कानून के तहत पेपर लीक करने या अनुचित साधन का इस्तेमाल करने पर कम से कम तीन साल की सजा और 10 लाख रुपये का जुर्माना लगाने का प्रावधान है। इसके साथ ही परीक्षा संचालन के लिए नियुक्त सर्विस प्रोवाइडर के दोषी पाए जाने पर 1 करोड़ रुपए तक जुर्माना लगाया जा सकता है।
Anti-Paper Leak Law: परीक्षार्थी कानून के दायरे में नहीं
इस नए एंटी पेपर लीक कानून के कुछ दायरे भी हैं। जिसके अनुसार प्रतिस्पर्धी परीक्षाओं में शामिल होने वाले युवा विद्यार्थी इस कानून के दायरे में नहीं हैं। जब संसद में इस बिल पेश किया गया था तो उस वक्त केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा था कि इस कानून का उद्देश्य केवल धांधली करके युवाओं के भविष्य से खिलवाड़ करने वालों को रोकना है। परीक्षार्थियों को इस एंटी पेपर लीक कानून के दायरे से बाहर रखा गया है।आइए जानते हैं किन गलतियों की नहीं मिलेगी कोई माफी ?
Anti-Paper Leak Law: भूलकर भी किए ये काम तो होगी 10 साल जेल
- परीक्षा से पहले प्रश्न पत्र या Answer Key लीक करना।
- किसी भी परीक्षा की आंसर-की या पेपर लीक करने में दूसरे लोगों के साथ शामिल होने पर।
- बिना किसी विशेष या कानूनी अधिकार के प्रश्न पत्र या ओएमआर शीट देखने या अपने पास रखने पर।
- परीक्षा के दौरान किसी भी अनधिकृत व्यक्ति द्वारा 1 या उससे ज्यादा सवालों के जवाब बताने पर।
- परीक्षा में किसी भी कैंडिडेट की डायरेक्ट या इनडायरेक्ट तरीके से जवाब लिखने में मदद करने पर।
- आंसर शीट या ओएमआर शीट में गड़बड़ी करने पर।
- बिना किसी अधिकार या बिना बोनाफाइड एरर के असेसमेंट में कोई हेरफेर करने की स्थिति में।
- किसी भी परीक्षा के लिए केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित मानकों और नियमों की जानबूझकर अनदेखी करने पर।
- किसी भी ऐसे डॉक्यूमेंट से छेड़छाड़ करने पर, जो कैंडिडेट की शॉर्टलिस्टिंग या उसकी मेरिट या रैंक निर्धारित करने के लिए जरूरी माना जाता है।
- परीक्षा के संचालन में गड़बड़ी कराने की नीयत से जानबूझकर सुरक्षा मानकों का उल्लंघन करने पर।
- कंप्यूटर नेटवर्क, कंप्यूटर रिसोर्स या किसी भी कंप्यूटर सिस्टम से छेड़खानी करने की स्थिति में।
- एग्जाम में घपला करने की नीयत से उम्मीदवार के सीटिंग अरेंजमेंट, एग्जाम डेट या शिफ्ट के आवंटन में गड़बड़ी करने पर।
- पब्लिक एग्जाम अथॉरिटी, सर्विस प्रोवाइडर या किसी भी सरकारी एजेंसी से संबंधित लोगों को धमकाने या किसी परीक्षा में व्यवधान उत्पन्न करने पर।
- पैसे ऐंठने या धोखाधड़ी करने के लिए फर्जी वेबसाइट बनाने पर भी सजा का प्रावधान है।
- फर्जी परीक्षा कराने, फर्जी एडमिट कार्ड या ऑफर लेटर जारी करने पर भी सजा हो सकती है।