Radha Ashtami 2024: भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि पर राधा अष्टमी मनाई जाती है, जिसे राधा रानी के अवतरण दिवस के रूप में पूरे देश में धूमधाम से मनाया जाता है। विशेष रूप से बरसाना नगरी में इस दिन की रौनक देखने लायक होती है, जहां पूरे नगर को दुल्हन की तरह सजाया जाता है।
धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस दिन राधा रानी के साथ भगवान श्रीकृष्ण की पूजा-अर्चना करने से जीवन में सुख-समृद्धि और खुशहाली आती है। राधा अष्टमी के दिन व्रत रखने और व्रत कथा का पाठ करने से साधक को विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है और उसे राधा रानी की कृपा प्राप्त होती है। यह दिन भक्तों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण होता है, और वे राधा-कृष्ण की आराधना कर अपने जीवन को आध्यात्मिक समृद्धि से भरने की कामना करते हैं।
Radha Ashtami 2024: किस मुहूर्त में करें पूजा?
पंचांग के मुताबिक, भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि 10 सितंबर को रात 11 बजकर 11 मिनट पर शुरू होगी और 11 सितंबर को रात 11 बजकर 46 मिनट पर समाप्त होगी। सनातन धर्म में सूर्योदय से तिथि की गणना की जाती है। ऐसे में 11 सितंबर को राधा अष्टमी मनाई जाएगी। राधा अष्टमी का शुभ मुहूर्त 11 सितंबर को सुबह 11 बजकर 03 मिनट से लेकर से दोपहर 01 बजकर 32 मिनट तक है।
Radha Ashtami 2024: जानें व्रत कथा
पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार राधा रानी स्वर्ग लोक से बाहर चली गईं। जब इस बात के बारे में भगवान श्रीकृष्ण को पता चला, तो वह विरजा सखी के साथ घूमने लगे। जब किशोरी जी स्वर्गलोक में आईं, तो उन्हें इस बात का पता चला और वह क्रोधित हो गईं। इसके पश्चात उन्होंने विरजा को अपमानित किया। इसके बाद उसने विरजा नदी का रूप लिया। राधा रानी के इस व्यवहार को सुदामा जी को अच्छा नहीं लगा। वह राधा जी के लिए गलत बोलने लगे।
सुदामा की बातों को सुनकर किशोरी जी क्रोधित हो गईं और उन्होंने कान्हा जी के मित्र को दानव योनि में जन्म लेने का श्राप दे दिया। सुदामा ने भी राधा जी को इंसान योनि में जन्म लेने का श्राप दिया।
इसके पश्चात सुदामा के श्राप की वजह से राधा रानी को भगवान श्रीकृष्ण का वियोग का सामना करना पड़ा। कुछ पौराणिक कथाओं के अनुसार, द्वापर युग के दौरान जगत के पालनहार भगवान विष्णु ने कान्हा जी के रूप में अवतार लिया, तो उनकी पत्नी धन की देवी मां लक्ष्मी राधा रानी के रूप में पृथ्वी पर अवतार लिया।