Kerala: देश में कोरोना वायरस के बाद लगातार कोई न कोई खतरा आते रहता है। बता दें कि भारत के दक्षिणी राज्य केरल में इसी साल जून-जुलाई के महीने में निपाह वायरस के संक्रमण ने लोगों को खूब परेशान किया था। जानकारी के लिए बता दें कि, इस खतरे को देखते हुए राज्य के कई शहरों में अलर्ट जारी किया गया था। करीब तीन महीने बाद राज्य में एक बार फिर से इस संक्रामक ने लोगों की चिंता बड़ा दी है।
Kerala: 24 वर्षीय युवक की संक्रमण के कारण हुई मौत
हालिया जानकारियों के मुताबिक, नौ सिंतबर को मलप्पुरम में एक 24 वर्षीय युवक की इस संक्रमण के कारण मौत हो गई है। इसे लेकर केरल की स्वास्थ्य मंत्री वीना जॉर्ज ने बताया कि मृतक का परीक्षण पुणे के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी में कराया गया था, वहां पर इस खतरनाक वायरस निपाह का पता चला। बता दें कि इसके साथ लगभग 151 लोगों के रोगी के संपर्क में आने की शंका जताई जा रही है, इनकी निगरानी की जा रही है।
ध्यान देने की बात है कि इस साल केरल में निपाह संक्रमण के कारण मौत का यह दूसरा मामला है। बता दें कि इससे पहले जुलाई में एक 14 वर्षीय लड़के की मौत हुई थी। स्वास्थ्य मंत्री ने कहा, संक्रमण की रोकथाम के लिए सभी आवश्यक कदम उठाए जा रहे है। लोगों से सावधानी बरतते रहने की अपील की गई है।
Kerala: स्वास्थ्य मंत्री ने क्या दी जानकारी?
राज्य की स्वास्थ्य मंत्री अपनी जानकारी साझा करते हुए कहा कि ,मौत का ये मामला नौ सितंबर का है, इससे पहले उसका चार निजी अस्पतालों में इलाज कराया गया था। इस घटना को देखते हुए राज्य में सभी उच्च जोखिम वाली श्रेणी के लोगों को आइसोलेशन में रहने के लिए कहा गया है। संपर्क में आए संभावित 151 लोगों में से पांच में लक्षण दिख रहे थे, उनके सैंपल भी परीक्षण के लिए भेजे गए हैं। इसके अलावा कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग का काम तेजी से किया जा रहा है जिससे किसी अन्य मामले को रोका जा सके।
Kerala: 2018 से लगातार केरल संक्रमण की चपेट में
गौरतलब है कि निपाह एक जूनोटिक बीमारी है जो सुअर और चमगादड़ जैसे जानवरों से मनुष्यों में फैलती है। जानवरों से इंसानों में संक्रमण के अलावा संक्रमित व्यक्ति से दूसरे लोगों को भी इसका खतरा हो सकता है। इसकी मृत्युदर 45-75 फीसदी तक मानी जाती रही है। साल 2018 से लगातार केरल राज्य इस संक्रमण की चपेट में रहा है।
स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, ये संक्रमण कई मामलों में गंभीर स्वास्थ्य जटिलताओं का कारण बन सकता है। गंभीर मामलों में, इसके कारण इन्सेफलाइटिस (मस्तिष्क की सूजन) हो सकती है, जो कोमा और मृत्यु के खतरे को बढ़ाने वाली मानी जाती है।
Kerala: क्या कोरोना से भी है ज्यादा खतरनाक ?
स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, निपाह कई मामलों में कोरोना से भी खतरनाक संक्रामक रोग माना जाता है। निपाह के कारण इन्सेफलाइटिस जैसी समस्याओं का जोखिम रहता है साथ ही इसका मृत्युदर भी बहुत अधिक रहा है। चमगादड़ों को निपाह वायरस संचार का प्रमुख कारण माना जाता है। चमगादड़ों द्वारा दूषित फलों या अन्य भोजन के माध्यम से ये इंसानों में फैल सकता है। स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, फलों-सब्जियों को खाने से पहले उसे अच्छी तरह से साफ करें। पक्षियों द्वारा कटा हुआ फल न खाएं।
निपाह के लिए अभी तक कोई विशिष्ट उपचार या टीके भी नहीं हैं। इसके जोखिमों में मोनोक्लोनल एंटीबॉडी को कुछ हद तक प्रभावी पाया गया है।
Kerala: कैसे करें बचाव ?
निपाह वायरस एक गंभीर और जानलेवा बीमारी है, जो मुख्य रूप से फेफड़ों और मस्तिष्क को प्रभावित करती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, निपाह वायरस से बचाव के लिए निम्नलिखित उपाय किए जा सकते हैं:
- हाथों की नियमित सफाई: साबुन और पानी से हाथ धोने या अल्कोहल-बेस्ड हैंड सैनिटाइज़र का उपयोग करना।
- फलों और सब्जियों को अच्छी तरह साफ करना: खासकर उन फलों को जो चमगादड़ प्रभावित क्षेत्रों से आते हैं, क्योंकि यह वायरस चमगादड़ों से फैल सकता है।
- प्रभावित क्षेत्रों की यात्रा से बचना: उन क्षेत्रों में जाने से बचें, जहां निपाह वायरस के प्रकोप की पुष्टि हुई है।
- संक्रमित लोगों से दूरी बनाए रखना: वायरस मानव से मानव के बीच भी फैल सकता है, इसलिए संक्रमित व्यक्ति से संपर्क कम करना महत्वपूर्ण है।
निपाह वायरस के लक्षणों में खांसी, गले में खराश, सांस लेने में कठिनाई, बुखार, मतली और उल्टी जैसी गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल समस्याएं शामिल हैं। इसके साथ ही तेज सिरदर्द और मानसिक अस्थिरता भी हो सकती है। इसलिए, लक्षण दिखने पर तुरंत चिकित्सा सहायता लेना आवश्यक है।
- चमगादड़ से मनुष्यों में संचरण का जोखिम अधिक होता है, ऐसे में उन स्थानों पर जाने से बचें जहां पर चमगादड़ अधिक हों।
- बीमार जानवरों या संक्रमितों के निकट संपर्क से बचाव के लिए प्रयास करते रहें। दस्ताने और अन्य सुरक्षात्मक कपड़े पहनने चाहिए।
- निपाह वायरस से संक्रमण वाले रोगियों के साथ निकट शारीरिक संपर्क से बचना चाहिए।