GK: भारत का संविधान अपने नागरिकों को लोकतांत्रिक शासन के अधिकार की गारंटी देता है, जिसमें निर्वाचित प्रतिनिधि देश के राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के प्रशासन की जिम्मेदारी लेते हैं। देश में कुछ वजहोें के चलते कई बार राष्ट्रपति शासन लागू किया जाता है। जिसके बाद उस राज्य की सरकार के हाथ में राज्य की जिम्मेदारी नहीं होती, लेकिन क्या कभी सोचा है कि ऐसी स्थिति में राज्य की जिम्मेदारी आखिर किसके हाथों में आ जाती है। यदि नहीं तो चलिए जान लेते हैं।
GK: किन स्थितियों में लागू होता है राष्ट्रपति शासन?
सबसे पहले जान लेते हैं कि आखिर राष्ट्रपति शासन किन स्थितियों में लागू होता है। तो बता दें किसी भी राज्य में यदि राज्यपाल के तय किए गए समय पर राज्य की विधानसभा में मुख्यमंत्री को नहीं चुना जाता है उस स्थिति में राष्ट्रपति शासन लागू हो जाता है। इसके अलावा यदि राज्य की सत्ता में गठबंधन की सरकार होती है लेकिन विधानसभा में यदि ये गठबंधन अपना बहुमत खो देता है, या गर्वनर द्वारा दिए गए समय के भीतर सीएम सदन में बहुमत साबित नहीं कर पाता है उस स्थिति में भी राष्ट्रपति शासन लागू हो जाता है।
साथ ही बहुमत नहींं होता है और किसी राज्य की विधानसभा में अविश्वास प्रस्ताव पारित कर दिया जाता है और उसी स्थिति में प्राकृतिक आपदा, महामारी या युद्ध के चलतेे चुनाव करवाना संभव नहीं हो पाता तो राष्ट्रपति शासन लागू हो जाता है।
GK: राष्ट्रपति शासन लगने पर क्या-क्या बदल जाता है?
राष्ट्रपति शासन में खास बात यह है कि इस अवधि के दौरान राज्य के निवासियों के मौलिक अधिकारों को खारिज नहीं किया जा सकता। इस व्यवस्था में राष्ट्रपति, मुख्यमंत्री के नेतृत्व वाली मंत्रीपरिषद् को भंग कर देता है। राज्य सरकार के कामकाज और शक्तियां राष्ट्रपति के पास आ जाती हैं। इसके अलावा राष्ट्रपति चाहे तो यह भी घोषणा कर सकता है कि राज्य विधायिका की शक्तियों का इस्तेमाल संसद करेगी। इससे संसद ही राज्य के विधेयक के तौर पर काम करती है. ऐसी स्थिति में बजट प्रस्ताव को भी संसद ही पारित करती है।
GK: कितने दिनों के लिए लग सकता है राष्ट्रपति शासन?
राष्ट्रपति शासन का प्रावधान केंद्र सरकार को किसी भी असामान्य स्थिति से प्रभावी ढंग से निपटने में सक्षम बनाते हैं। राष्ट्रपति शासन लगने के 2 महीने के भीतर संसद के दोनों सदनों (लोकसभा और राज्यसभा) द्वारा इसको अप्रूव किया जाना जरूरी है।अगर उस समय लोकसभा भंग होती है, तो इस व्यवस्था को बरकरार रखने के लिए राज्यसभा में बहुमत हासिल करनी होती है। फिर लोकसभा गठन होने के एक महीने के भीतर वहां भी अप्रूवल लेना जरूरी है। दोनों सदनों की ओर से सहमित मिलने पर राष्ट्रपति शासन 6 माह तक रहता है. इसे 6-6 महीने करके अधिकतम 3 साल तक बढ़ाया जा सकता है।