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देहरादून के सबसे सस्ते अस्पताल में लगता है मात्र 20 रुपये फ़ीस, एक्सरे और अल्ट्रासाउंड भी होता है एक तिहाई दामों में

देहरादून। बीमारियों के इलाज का खर्च कई बार पाई-पाई को मोहताज कर देता है. अस्पतालों में महंगे टेस्ट होते हैं और महंगी दवाइयां दी जाती हैं. वहीं उत्तरांखड की राजधानी देहरादून की कालिका मंदिर समिति द्वारा चिकित्सालय संचालित किया जाता है। अल्ट्रासाउंड, पैथोलॉजी लैब, एक्सरे आदि की सुविधाएं हैं, जबकि होम्योपैथी व एलोपैथी के माहिर डॉक्टर मामूली सी फीस पर मरीजों को देखते हैं. मरीज को थोड़ी सी फीस में चिकित्सकीय परामर्श और दवाइयां दोनों ही मिल जाती हैं. वहीं एक्सरे और अल्ट्रासाउंड भी एक तिहाई दामों में होता है। आइये जानते है इन सुविधाओं के बारे में-

यहां पर सिर्फ ₹20 की ओपीडी में आपको डॉक्टर से परामर्श और होम्योपैथी और ऐलोपैथिक दवाइयां मिल जाएंगी. जहां एक ओर देहरादून के निजी अस्पतालों में अल्ट्रासाउंड के लिए 1500 से 1800 रुपये भुगतान करने पड़ते हैं, वहीं यहां पर 500 रुपये में अल्ट्रासाउंड हो जाता है। कालिका मंदिर समिति के प्रधान अशोक लांबा ने जानकारी देते हुए कहा कि 60 वर्ष पहले बालयोगी महाराज ने इस मंदिर की स्थापना की थी, जिसमें वर्तमान में जनहित से जुड़े कई कार्यक्रम चलाए जाते हैं ।

उन्होंने बताया कि यहां जनसेवा के लिए मां कालिका धर्मार्थ चिकित्सालय बनाया गया था. इसमें हमने सबसे पहले डिस्पेंसरी की शुरुआत की थी. यहां अल्ट्रासाउंड, पैथोलॉजी लैब, एक्सरे आदि की सुविधाएं हैं, जबकि होम्योपैथी व एलोपैथी के माहिर डॉक्टर मात्र 20 रुपये की फीस पर मरीजों को देखते हैं. मरीज को इतनी सी फीस में चिकित्सकीय परामर्श और दवाइयां दोनों ही मिल जाती हैं. वहीं एक्सरे और अल्ट्रासाउंड भी एक तिहाई दामों में होता है।

साधु-संतों के लिए है निशुल्क ठहरने की व्यवस्था-

उन्होंने आगे बातचीत में कहा कि हमारे मंदिर में आश्रम भी चलाए जाते हैं. अगर बाहर से कोई साधु-संत आते हैं, तो उनके निशुल्क ठहरने की व्यवस्था करवाई जाती है. वहीं रोजाना सुबह का नाश्ता और भोजन बनाकर लंगर लगाया जाता है. कुछ आश्रमों में मंदिर समिति द्वारा कच्चा राशन भी भेजा जाता है. रोजाना सुबह दून अस्पताल में मंदिर समिति के सदस्यों द्वारा चाय, बिस्किट, रस और ब्रेड वितरित की जाती है. गरीब घर से ताल्लुक रखने वाले बच्चों की शिक्षा के लिए हम उन्हें गोद लेते हैं. उनकी पढ़ाई का खर्च मंदिर समिति उठाती है. वहीं निर्धन लोगों के लिए भोजन की व्यवस्था कराते हैं. करीब 80 बुजुर्ग और जरूरतमंदों को 1,000 रुपये प्रतिमाह पेंशन दी जाती है. दून अस्पताल और कोरोनेशन अस्पताल में कई ऐसे लोग आते हैं, जिनकी हालत बेहद खराब होती है, उनके लिए भी जितनी हो सके मदद की जाती है।

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