देहरादून। नेहरु पर्वतारोहण संस्थान (निम) से प्रशिक्षण प्राप्त करने वाले पूर्व छात्रों का जल्द एक डेटाबेस तैयार होगा। इसके लिए निम ने पूर्व छात्रों का पंजीकरण करना शुुरू कर दिया है। निम से प्रशिक्षण लेने वाले पूर्व छात्र संस्थान की आधिकारिक वेबसाइट पर अपना पंजीकरण करा सकते हैं। अधिकारियों का कहना है कि इस पंजीकरण से पूर्व छात्रों का एक व्यापक डेटाबेस तैयार करने में तो मदद मिलेगी, वहीं उन्हें एक प्लेटफार्म से भी जोड़ा जा सकेगा।
निम की स्थापना वर्ष 1965 में हुई थी। तब से अब तक हजारों लोग संस्थान से बेसिक, एडवांस और सर्च एंड रेस्क्यू सहित अन्य कोर्स कर चुके हैं। अगले वर्ष 2025 में निम अपनी 60वीं वर्षगांठ मनाने जा रहा है। इससे पूर्व संस्थान ने अपने पूर्व छात्रों का एक व्यापक डेटाबेस तैयार करने का निर्णय लिया है, जिसके लिए सभी पूर्व छात्रों का पंजीकरण शुरू कर दिया गया है।
निम के प्रधानाचार्य कर्नल अंशुमान भदौरिया ने बताया कि निम से प्रशिक्षण लेने वाले पूर्व छात्र किन-किन राज्यों के हैं। यह जानकारी अब तक उपलब्ध नहीं है। पूर्व छात्रों के डेटाबेस से यह जानकारी भी मिलेगी। वहीं एक सांख्यिकी डेटा तैयार होगा। इससे पूर्व छात्रों को निम से क्या लाभ हुआ यह भी पता चल सकेगा। सभी पूर्व छात्रों को जोड़ने के लिए निम की वेबसाइट पर ही एक प्लेटफार्म बनाने की भी योजना है।
कैसे निम से करा सकते हैं पूर्व छात्र पंजीकरण ?
प्रशिक्षण प्राप्त करने वाले पूर्व छात्र https://www.nimindia.net/nim-alumni पर जाकर लॉग इन कर सकते हैं। इसके अलावा सीधे निम की आधारिक वेबसाइट nimindia.net पर भी लॉग इन करेंगे तो वहां एलुमिनाई रजिस्ट्रेशन का मैसेज फ्लैश होता नजर आएगा, जिस पर क्लिक कर भी एक फार्म ओपन होगा। जिसके भरकर पंजीकरण कराया जा सकता है।
आइये एक नज़र डालते है इस संस्थान पर-
इस कालखंड में निम ने देश-दुनिया को दर्जनों नामचीन पर्वतारोही देने के साथ ही कई उपलब्धियां भी अपने नाम की हैं। 2013 की आपदा के दौरान रेस्क्यू कार्य और केदारपुरी का पुनर्निर्माण भी उसकी उपलब्धियों में दर्ज है। देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू की स्मृति में 14 नवंबर 1964 को उत्तरकाशी में निम की स्थापना की गई थी। तब से अब तक के इतिहास पर नजर डालें तो संस्थान की हर उपलब्धि गौरवान्वित करने वाली है। इस अवधि में निम एवरेस्ट और शीशा पांग्मा समेत तीन दर्जन से अधिक चोटियों पर तिरंगा फहरा चुका है।साथ ही संस्थान में संचालित एडवेंचर, बेसिक, एडवांस, सर्च एंड रेस्क्यू और मैथड ऑफ इंस्ट्रक्शन कोर्स सहित कई स्पेशल, रॉक क्लाइंबिंग एवं स्कीइंग कोर्स में करीब 31 हजार देशी-विदेशी पर्वतारोही प्रशिक्षण प्राप्त कर चुके हैं।
सर्च एंड रेस्क्यू कोर्स कराने वाला यह एशिया का इकलौता संस्थान है। साहसिक खेलों के शौकीन हर युवा का सपना होता है कि वह निम से ही उक्त पाठ्यक्रमों का प्रशिक्षण प्राप्त करे। वर्ष 2013 की आपदा में राहत एवं बचाव कार्य में निम की बड़ी भूमिका रही है। आपदा के दौरान गंगा घाटी से लेकर केदार घाटी तक निम की टीम रेस्क्यू में जुटी रही। साथ ही केदारनाथ में पुनर्निर्माण के चुनौतीपूर्ण कार्य को भी कर्नल अजय कोठियाल के नेतृत्व में निम ने बखूबी से अंजाम दिया। केदारनाथ में निम की टीम ने विपरीत परिस्थितियों में बेहतर काम करके अनूठी नजीर पेश की।
निम से प्रशिक्षण प्राप्त ये है प्रमुख पर्वतारोही-
भारतीय महिला एवरेस्टर सुश्री बछेंद्री पाल, संतोष यादव, डॉ. हर्षवंती बिष्ट, अर्जुन वाजपेयी, कृष्णा पाटिल, सुमन कुटियाल, सरला नेगी, अरुणिमा सिन्हा, जुड़वां बहनें नुंग्शी व ताशी, पूनम राणा आदि निम से प्रशिक्षण प्राप्त प्रमुख पर्वतारोही है।