Deep Fake Video: काशीपुर में सीएम धामी के डीप फेक वीडियो का मामला पूरे प्रदेश में सुर्खियों में बना हुआ है। इस मामले को लेकर भले ही लोग अपनी अलग-अलग राय बता रहे हों लेकिन सच्चाई यह है कि इस तरह की चालबाजी समाज के लिए बेहद भयजनक साबित हो सकती है। सीएम धामी के डीप फेक वीडियो बनाए जाने से जहां सुरक्षा एजेंसियों की नींद उड़ी चुकी है। वहीं इस मामले में आरोपित युवक पर पुलिस की कार्रवाई को लेकर इंटरनेट मीडिया में इसके पक्ष और विपक्ष में पोस्ट की होड़ शुरू हो गई है।
राजनेताओं की छवि धूमिल करने का किया जा रहा प्रयास –
यह भी कहा जा रहा है कि इस तरह के वीडियो का इस्तेमाल यदि भविष्य में बढ़ता चला गया तो इसके बहुत से खतरनाक परिणाम हमारे सामने आ सकते हैं। बता दें कि, पिछले साल ही केंद्र सरकार ने डीप फेक वीडियो को लेकर एडवाइजरी जारी की गई थी। कई राज्यों में पिछले कुछ महीने में ही इसके तहत दर्जनों की संख्या में मामले दर्ज किए गए हैं। डीप फेक वीडियो से अबसंवैधानिक पदों पर आसीन राजनेताओं की छवि धूमिल करने के प्रयास भी किए जाने लगे हैं। उत्तराखंड में भी सीएम का ऐसा ही डीप फेक वीडियो बनाया जा चुका है। अब इस मामले में केंद्र सरकार की ओर से जारी एडवाइजरी के तहत ही कार्रवाई अमल में लाई जा रही है।
पुलिस मामलें को लेकर हुई सक्रिय –
काशीपुर में दो दिन पूर्व एक अस्पताल के एमडी ने एक युवक के खिलाफ मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के बारे में सोशल मीडिया पर आपत्तिजनक पोस्ट करने का आरोप लगाते हुए पुलिस को तहरीर सौंपी है। इस मामले में पुलिस ने मुकदमा दर्ज करने के बाद आरोपित युवक आयुष रावत को पूछताछ के लिए बुलाया था।अब पूरे मामले में आरोपित युवक की ओर से इंटरनेट मीडिया प्लेटफार्म पर खुद को पुलिस के धमकाने और मारपीट करने का आरोप लगाया जा रहा है। इसे लेकर अब सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर तर्क-वितर्क शुरू हो गई है।
डीप फेक को लेकर क्या है एडवाइजरी ?
पिछले वर्ष दिसंबर में सरकार की ओर से जारी एडवाइजरी में सभी सोशल मीडिया प्लेटफार्म से यह आश्वस्त करने को कहा गया कि उनके प्लेटफार्म पर आइटी कानून की परिधि में आने वाले कंटेंट का ही प्रसारण हो। अगर इसका उल्लंघन होता है तो उन सभी के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस यानी एआइ की मदद से बनाए जाने वाले डीप फेक वीडियो के सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर प्रसारण में तेजी आने के बाद सरकार ने कहा था कि आइटी एक्ट के नियम 3 (1) बी (फाइव) के तहत किसी भी प्रकार की गलत या भ्रामक सूचना को सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर नहीं डाला जा सकता है।
यूजर्स के गलत वीडियो, मैसेज या कंटेंट डालने से रोकने का काम सोशल मीडिया प्लेटफार्म का है ताकि इससे और सभी यूजर्स को नुकसान नहीं हो। प्लेटफार्म यूजर्स को यह भी बताया गया कि आइटी एक्ट के नियम का पालन नहीं करने पर उनके खिलाफ भारतीय दंड संहिता के तहत कार्रवाई की जा सकती है।
कैसे बनता है डीप फेक वीडियो ?
डीप फेक टेक्नोलाजी ऐसी टेक्नोलाजी है जिसमें आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस की सहायता से किसी भी इंसान का नकली रूप तैयार किया जा सकता है। जो दिखने, बोलने, सुनने व हाव-भाव से लगभग असली इंसान जैसा ही लगता है लेकिन इन सभी का प्रयोग छवि खराब करने, ब्लेकमैलिंग करने व पैसा वसूली के लिए किया जाने लगा है। इस टेक्नोलाजी के तहत कई बड़े -बड़े लोगों को निशाना बनाया गया है। इनमें एक्ट्रेस रश्मि मंधाना से लेकर विराट कोहली, अमिताभ बच्चन, निर्मला सीतारमण, रणवीर सिंह जैसे नाम शामिल हैं।