Sawan 2024 : श्री नीलकंठ महादेव मंदिर में जलाभिषेक के लिए शिवभक्तों की भीड़ उमड़ने लगी है। मध्यरात्रि से शिवभक्तों ने जलाभिषेक करना शुरू कर दिया था। शिवभक्ति में सराबोर श्रद्धालु महादेव के जयकारे लगा रहे हैं। वहीं, सैकड़ों की संख्या में पुलिसकर्मी भी मुस्तैद हैं।
इधर, ऋषिकेश के सिद्धपीठ पौराणिक वीरभद्र महादेव मंदिर, सोमेश्वर महादेव मंदिर व चंद्रेशवर महादेव मंदिर में भी स्थानीय श्रद्धालु सुबह से जुटने शुरू हो गए हैं। यहां भी श्रद्धालुओं की लंबी कतारें देखने को मिल रही है। समय के साथ भीड़ में बढ़ोत्तरी होती जा रही है।
स्कूलों में अवकाश घोषित-
ऋषिकेश में कांवड़ यात्रा रूट पर आज सोमवार को स्कूलों में अवकाश घोषित नहीं किया गया है, जबकि टिहरी डीएम ने मुनिकिरेती क्षेत्र व पौड़ी डीएम ने लक्ष्मणझूला यात्रा मार्ग पर स्थित स्कूलों में अवकाश घोषित किया है।
इस कारण ऋषिकेश में कई अभिभावक कांवड़ यात्रा के कारण भीड़ की आशंका से बच्चों को स्कूल नहीं भेज रहे हैं। जबकि, दूर से आने वाले छात्र-छात्राओं को भी सार्वजनिक वाहन आसानी से नहीं मिल पा रहे हैं।
जानकारी के लिए बता दें, सनातन धर्म में श्रावण मास यानी सावन का महीना बेहद ही खास और बहुत से फल प्रदान करने वाला बताया गया है. सावन का महीना भगवान शिव को समर्पित है. मान्यता है कि इस महीने में भोलेनाथ के निमित्त पूजा पाठ, व्रत और उनके मंत्रों का जाप करने से जीवन के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं. सावन का महीना साल 2024 में 22 जुलाई से शुरू हो रहा है. वहीं सावन के महीने में बहुत से तीज त्योहार भी आ रहे हैं.
उन्होंने बताया कि इस साल सावन के महीने में आने वाले सभी त्योहार और व्रत बेहद ही खास और मनोकामनाएं पूर्ण करने वाले हैं. चातुर्मास का दूसरा महीना विशेष फल देने वाला होता है. चातुर्मास में भोलेनाथ ही पूरी सृष्टि का संचालन करते हैं. श्रावण मास 22 जुलाई से शुरू हो रहा है. इस महीने में गणेश चतुर्थी, नाग पंचमी, कामिका एकादशी, हरियाली अमावस्या, हरियाली तीज, पवित्रा एकादशी और सावन पूर्णिमा आएगी.
उत्तराखंड में सावन एक सप्ताह पहले ही शुरू हो जाता है। ऐसे में उत्तराखंड के निवासी सावन के पहले दिन को हरेला पर्व के रूप में मनाकर हरियाली के प्रति कृतज्ञता जताते हैं। इस दिन घरों को फूल-पत्तियों से सजाया जाता है और किसान अच्छी फसल के लिए भोलेनाथ से प्रार्थना करते हैं। इस दिन भात और मसूर की दाल बनाई जाती है।
दरअसल, भगवान शिव को प्रकृति का प्रतीक माना गया है और उन्हें खेती का देवता भी कहा जाता है। हरेला पर्व से कई फसलों की बोवनी भी शुरू होती है, ऐसे में हरेला पर्व को महादेव से जोड़कर देखा गया है। इस दिन भगवान शिव के साथ मां पार्वती का पूजन किया जाता है। एक मान्यता यह भी है कि हरेला पर्व सावन के प्रथम दिन मनाया जाता है और यह माह भगवान शिव को समर्पित है। ऐसे में हरेला पर्व पर भोलेनाथ का पूजन किया जाता है।