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Uttarakhand: रेल परियोजनाओं को कैसे मिलेगी रफ्तार? कब तक पूरा होगा ऋषिकेश का काम?

Uttarakhand: केंद्र सरकार ने उत्तराखंड में रेल परियोजनाओं के लिए 5131 करोड़ रुपये का वितरण किया है। इससे न केवल यहां चल रहे कार्य त्वरित गति से आगे बढ़ेंगे, बल्कि नई परियोजनाओं पर भी कार्य शुरू किया जाएगा। साथ ही उत्तराखंड में रेल नेटवर्क को बहुत मज़बूत किया जाएगा। सामरिक और चारधाम यात्रा की दृष्टि से महत्वपूर्ण ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल परियोजना का काम वर्ष 2026 के बीच तक पूरा हो जाएगा। इस परियोजना में ‘हिमालयन टनलिंग मेथड’ तकनीक का प्रयोग किया गया है।

रेल परियोजनाओं के लिए रिकार्ड बजट का आवंटन –

बुधवार को देहरादून स्थित पत्र सूचना कार्यालय में आयोजित वर्चुअल पत्रकार सम्मेलन में रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने उत्तराखंड को मिले रेल बजट की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने इस बार रेल परियोजनाओं के लिए रिकार्ड बजट का आवंटन किया गया है, इसका लाभ उत्तराखंड को भी मिलेगा।उत्तराखंड की चार नई बहुप्रतिक्षित रेल परियोजनाओं टनकपुर-बागेश्वर, ऋषिकेश-उत्तरकाशी, बागेश्वर-गैरसैंण व देहरादून-शाकुंभरी देवी-सहारनपुर रेल लाइनों का सर्वे का पुरा हो गया है। बता दें कि रेल लाइन के लिए आवश्यक रडार सर्वे भी करा लिया गया है। इनकी डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट (डीपीआर) बनाने का कार्य गतिमान है। इसके पूरा हो जाने के बाद रेल परियोजनाओं पर कार्य शुरू किया जाएगा।

दोहरी सुरंग का निर्माण-

रेल मंत्री ने बताया कि ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल परियोजना में कुल 213 किमी सुरंग (दोहरी सुरंग) का निर्माण होना है। लगभग 171 किमी काम पूरा हो चुका है। इसमें दो टनल बोरिंग मशीनें काम कर रहीं हैं, जिसमें एक का नाम ‘शिव’ और दूसरी का ‘शक्ति’ है। रेल मंत्री ने इस बात कि जानकारी दी है कि देश में पहली बार इन दोनों मशीनों का प्रयोग रेल सुरंग के लिए किया जा रहा है। पहले रेल सुरंग के निर्माण के लिए ‘न्यू आस्ट्रियन टनलिंग मेथड’ तकनीक प्रयोग की जाती थी, लेकिन उत्तराखंड, जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तर पूर्वी क्षेत्रों के लिए अब ‘हिमालयन टनलिंग मेथड का प्रयोग किया जा रहा है।

रेल मंत्री वैष्णव ने कहा कि हिमालय के पहाड़ अभी युवा हैं और इनमें अधिकतम मिट्टी पाई जाती है, जिसमें सुरंग बनाने में मुश्किल पैदा होती है। इसलिए हिमालय के पहाड़ों में सुरंग बनाने के लिए एचटीएम तकनीक बनाई गई है। एचटीएम के माध्यम से संतुलित टनल बनाई जाती है। इसमें बोरिंग के साथ-साथ कंक्रीटिंग का कार्य चलता रहता है।

सप्रंग सरकार के बाद कितना प्रतिशत बजट बढ़ा –

रेल मंत्री ने बताया कि वर्ष 2009-14 में केंद्र में सप्रंग सरकार के कार्यकाल में उत्तराखंड को रेल बजट के रूप में सालाना 187 करोड़ रुपये मिलते थे। केंद्र में भाजपा की सरकार आने के बाद बजट में लगातार वृद्धि होती गई। वर्तमान में यह बजट 27 गुना बढ़कर सप्रंग की तुलना में 2644 प्रतिशत तक चला गया है।

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