सोमवार से कांवड़ यात्रा शुरू हो गई है. देश भर से कांवड़िये गंगा जल लेने के लिए जा रहे हैं. ऐसे में जगह जगह उनकी सुविधा के लिए तमाम तरह के इंतजाम किए जा रहे हैं. इसी बीच देश में कांवड़ियों से जुड़े मुद्दे लगातार आ रहे हैं और इन पर जमकर सियासत भी हो रही है। कहीं कुछ कांवड़ियों द्वारा किया गया उपद्रव चर्चा के केंद्र में है तो कहीं उनकी श्रद्धा और भक्ति के सामने लोग नतमस्तक हुए जा रहे हैं। इस बीच दिल्ली सरकार की राजस्व मंत्री आतिशी ने कहा कि दिल्ली सरकार ने 20,000 लोगों के ठहरने की व्यवस्था करते हुए कश्मीरी गेट पर देश का सबसे बड़ा कांवड़ शिविर लगाया है। एक सरकारी बयान के मुताबिक मंत्री आतिशी ने तैयारियों का जायजा लेने के लिए इस कांवड़ शिविर का दौरा किया।
दिल्ली में कितने लगे हैं कांवड़ शिविर ?
इस बीच मंत्री आतिशी ने का कहना है कि रास्ते में जहां जहां पर भी कांवड़ शिविर लगाए जाते हैं उसमें दिल्ली सरकार सहयोग करती है. उन्होंने बताया कि दिल्ली के कश्मीरी गेट में सबसे बड़ा कावड़ शिविर लगाया गया है यहां कई जगहों से करीब 20 हजार से ज्यादा कांवड़िये आते हैं.. मंत्री ने बताया कि शिविर में पानी, टॉयलेट समेत तमाम सुविधाओं की व्यवस्था की जा रही है. मंत्री के अनुसार सभी शिविरों में चौबीसों घंटे चिकित्साकर्मी मौजूद रहेंगे ताकि जरूरत पड़ने पर कावंड़ियों को तत्काल इलाज मुहैया कराया जा सके।उन्होंने बताया कि कश्मीर गेट समेत दिल्ली में इसी तरह के 185 लगे हैं जिनमें दिल्ली सरकार पूरा सहयोग करती है.
बता दें, हरिद्वार में चल रही कांवड़ यात्रा में श्रद्धालु अपनी मान्यताओं के अनुसार गंगाजल भरकर कांवड़ यात्रा कर रहे हैं. कोई श्रद्धालु अपने कंधों पर 11 लीटर गंगा जल लेकर यात्रा कर रहा है तो कोई श्रद्धालु अपने कंधों पर 100 लीटर से अधिक गंगा जल लेकर यात्रा करते नजर आ रहे हैं. हरिद्वार में इस समय आस्था का जन सैलाब उमड़ा हुआ हैं. हरिद्वार से गंगा जल भरकर अपने-अपने गंतव्य को जाने वाले एक से बढ़कर एक श्रद्धालु देखे जा सकते हैं.
हरिद्वार से गंगाजल भरकर अपने गंतव्य को जा रहे उत्तर प्रदेश के कुछ युवा भक्तों से बातचीत की. शिव भक्तों की इस टीम में सभी शिव भक्तों के कंधों पर 100 लीटर से अधिक गंगाजल था जो अपने माता-पिता की सलामती और उनके बेहतर जीवन के लिए कांवड़ यात्रा कर रहे थे. इनमें से कुछ शिव भक्त ऐसे भी थे जिनका वजन महज 50 किलो से लेकर 55 किलो है लेकिन यह अपने वजन से तीन गुना ज्यादा गंगा जल अपने कंधों पर लेकर हरिद्वार से उत्तर प्रदेश के जनपद सहारनपुर में जा रहे थे.
कब तक खत्म होगी कांवड़ यात्रा ?
सावन माह के शुरू होते ही कावड़ यात्रा शुरू हो जाती है. 22 जुलाई से सावन शुरू होने के साथ ही इसी दिन से कावड़ यात्रा भी शुरू हो गई है जो 19 अगस्त को समाप्त होगी. कावड़ यात्रा में कांवड़िए पैदल चलकर हरिद्वार से गंगाजल लेने के लिए जाते हैं और शिवलिंग का जलाभिषेक करते हैं.
सावन का महीना शुरू होते ही हरिद्वार से कांवड़ यात्रा का आगाज 22 जुलाई से हो गया है. सावन के पहले दिन से हरिद्वार में अलग-अलग प्रदेशों से आए श्रद्धालुओं ने गंगाजल भरा और अपने-अपने गंतव्य को रवाना हो गए. धार्मिक दृष्टिकोण से आस्था से बड़ी कुछ चीज नहीं होती हैं. आस्था के कारण व्यक्ति कठिन से कठिन काम भी सरलता के साथ कर लेता है.