Jageshwar Dham:सावन के चौथे सोमवार के दिन जागेश्वर धाम में श्रद्धालुओं की बहुत भीड़ लगी रहती है। भगवान शंकर की पूजा करने के लिए सभी लोग लम्बी लाइनों में कई घंटो से लगे रहते है। जानकारी के मुताबिक, दीप तपस्या करने वाले भक्त 36 घंटे का व्रत रखते है, वहां के लोगों का मानना है कि उपवास रखने से महादेव की कृपा बरसती है।
द्वादश ज्योतिर्लिंगों में प्रसिद्ध जागेश्वर धाम में श्रावणी चतुर्दशी पर रात भर पूजा अर्चना का दौर चला है। सूत्रों के हवाले से बीते शुक्रवार से निसंतान महिलाओं ने बेहद कठिन माने जाने वाले दीप तपस्या का व्रत भी रखा था, जानकारी के लिए बता दें कि इस कठिन व्रत के साथ इसके कड़े नियम भी होते है।
कितने घंटे का होता है व्रत ?
दीप तपस्या करने वाले श्रद्धालुओं को 36 घंटे का उपवास रखना पड़ता है जैसे कि वहा के लोगों से पता चला की इस व्रत के बहुत कड़े नियम होते है। इस दौरान, शाम को महामृत्युंजय मंदिर में आयोजित पूजा में व्रती श्रद्धालुओं के हाथों में दीपक सौंप दिया जाता है। दीपक लिए श्रद्धालु मंदिर के स्तंभों की आड़ में खड़े होकर अपने विश्वास और भक्ति के साथ दीप तपस्या करने में लगे रहते है । यह पवित्र क्रिया करने से उनके मन में आध्यात्मिक शांति और संकल्प की भावना और भी मजबूत हो जाती है। शनिवार सुबह के चार बजे प्रात: कालीन आरती के बाद भक्त के हाथ से पुजारी दीपक उताकर उसे भगवान शिव के समक्ष रखा गया। इसके बाद ही दीप तपस्या पूरी मानी जाती है। लोगों का कहना है कि दीप तपस्या करने वाले की मनोकामना महादेव हमेशा पूरा करते हैं।
जागेश्वर धाम में विभिन्न देवी देवताओं के मंदिर-
दीप तपस्या को स्थानीय भाषा में ठाड़द्यू के नाम से भी जाना जाता है। दीप तपस्या श्रावण माह के सोमवार या श्रावण चतुर्दशी के अलावा वैशाखी पूर्णिमा, महाशिवरात्रि आदि पर्वों में की जाती है। जानकारी के लिए बता दें कि जागेश्वर धाम में विभिन्न देवी देवताओं के 125 मंदिर हैं। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के मुताबिक इन मंदिर का निर्माण सातवीं सदी के लेकर 13वीं सदी तक हुआ है।
क्या है पूजन का विशेष महत्व?
जागेश्वर धाम में सावन मास में पार्थिव पूजन का सबसे ज्यादा महत्व होता है। अलग-अलग मनोकामनाओं के लिए अलग अलग पदार्थों से 108 शिवलिंग तैयार कर उनका विधि पूर्वक से पूजा किया जाता है। संतान प्राप्ति के लिए साठी चावल, सर्व मनोकामना के लिए मिट्टी, धन प्राप्ति के लिए मक्खन के 108 शिवलिंग बनाकर उनका पूजन किया जाता है।
जागेश्वर धाम में गंगा जल लेकर पहुंचे कांवड़ियों का जोरदार से स्वागत किया गया था। महिलाओं ने उनके पैर धोए। उसके बाद पूजा-अर्चना हुई और जलाभिषेक किया गया।
पूर्व पीएम की बेटी ने भी की है तपस्या –
जागेश्वर धाम में दीप तपस्या के लिए न केवल उत्तराखंड से जबकि देश के हर कोने से श्रद्धालु पहुंचते हैं। पुजारियों ने बताया, करीब तीन दशक पहले पूर्व पीएम नरसिम्हा राव की बेटी और दामाद भी जागेश्वर धाम के महामृत्युंजय मंदिर में दीप तपस्या कर चुके हैं। पुजारियों के मुताबिक, दीप तपस्या के बाद पूर्व पीएम नरसिम्हा राव की बेटी की मनोकामना एक साल के भीतर ही पूरी हो गई थी। तब से यह परिवार इस धाम के प्रति बेहद आस्था और लगाव रखता है। दक्षिण भारत से साल में हजारों भक्त पूजा अर्चना के लिए यहा आते हैं।