Srinagar Garhwa: उत्तराखंड में रेशम उत्पादन की बहुत सी संभावनाएं हैं। जम्मू-कश्मीर और उत्तराखंड में ही केवल चार प्रकार का मलवारी है, मूंगा, एरी और टसर रेशम भी होता है। ऐसे में पलायन, बेरोजगारी कम करने और किसानों की आय बढ़ाने के लिए रेशम विभाग प्रदेश भर में प्रिजर्वेशन दून सिल्क हेरिटेज योजना के तहत ( NRLM ) और रीफ के माध्यम से कई जिलों के 25 किसानों को रेशम उत्पादन के योजना से शामिल किया जाएगा।
इस योजना के अंतर्गत किसानों को 300 पेड़ दिए जा रहे है। जिसके बाद किसानों को कोकून क्राफ्ट और स्प्रिंग का प्रशिक्षण भी दिया जाएगा। साथ ही विभाग के द्वारा किसानों को रेशम उत्पादन करने के लिए आवश्यक उपकरण भी दिए जाएंगे। कोकून उत्पादन के माध्यम से उत्तराखंड के किसानों की आर्थिकी में भी सुधार आएगा। इस वित्तीय वर्ष में अभी तक पौड़ी गढ़वाल जिले में रेशम विभाग ने 537 किसानों के साथ मिलकर रेशम कीट से कोकून उत्पादन किये है, और 40 लाख रुपये की आमदनी भी की है।
रेशम विभाग के सहायक ने क्या कहा-
रेशम विभाग के सहायक निदेशक राजीव कुमार ने बताया की रेशम उत्पादन किसानों के लिए बहुत फायदेमंद और कम मेहनत में ज्यादा फायदा कमाने का सौदा है। वर्तमान में प्रदेश भर के किसानों के लिए प्रिजर्वेशन दून सिल्क हेरिटेज योजना के तहत ( NRLM ) और रीफ के माध्यम से प्रत्येक जिले में महिला समूहों को योजना से जोड़े जाने का काम किया जा रहा है। इसमें 25 महिला किसान प्रशिक्षण कार्यक्रम से जुड़ेंगी और रीफ के माध्यम से उन्हें रेशम उत्पादित करने वाले पेड़ों का रोपण करवाया जा रहा है। प्रति लाभार्थी को 300 पौधे के साथ शहतूत भी दिए जा रहे है।
राजीव कुमार बताते हैं कि किसानों को रेशम कीट पालन के साथ ही कोकून क्राफ्ट का प्रशिक्षण भी दिया जाएगा। साथ ही किसानों को रेशम उत्पादन करने के समय प्रयोग में आने वाले उपकरण भी दिए जाएंगे, जिससे वे अपनी आर्थिकी और कोकून उत्पादन को करने में आसानी होगी। उत्तराखंड के लिए यह योजना वरदान के रूप में साबित होगी।
कितने फेज में मिलेगा योजना का लाभ ?
राजीव कुमार बताते है कि यह योजना तीन फेज में रेशम के किसानों को लाभ देगा। पहले वर्ष में वृक्षारोपण और कोकून क्राफ्टिंग का प्रशिक्षण दिया जाएगा। दूसरे वर्ष में अनुदान के रूप में कीट पालन कक्ष के लिए 1 लाख 5 हजार रुपये रीफ के माध्यम से, 30 हजार रुपये रेशम विभाग के माध्यम से और 15 हजार रुपये लाभार्थी का अपना अंश होगा। कुल 1 लाख 50 हजार रुपये दिया जाएगा। तीसरे वर्ष में विभाग की ओर से रेशम पालन में उपयोग में आने वाले उपकरण भी दिए जाएंगे।