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UTTARAKHAND: 12 साल का इंतजार अब ख़त्म, किसके साथ मिलकर बनेगी कोयले से बिजली?

UTTARAKHAND: प्रदेश की 21 जल विद्युत परियोजनाओं को लेकर सुप्रीम कोर्ट नवंबर में एक महत्वपूर्ण फैसला सुना सकता है। इस संबंध में कैबिनेट सचिव की अध्यक्षता में गठित पांच सदस्यीय समिति अपनी रिपोर्ट तैयार कर रही है, जिसे अक्तूबर माह में सुप्रीम कोर्ट को सौंपा जाएगा। यह रिपोर्ट के अनुसार  इन परियोजनाओं के पर्यावरणीय और सामाजिक प्रभावों का मूल्यांकन करेगी, जिसके आधार पर सुप्रीम कोर्ट अपना निर्णय लेगा।

12 सालों का लम्बा इंतजार हुआ ख़त्म

प्रदेश की 2123.6 मेगावाट की 21 जल विद्युत परियोजनाओं में से 11 परियोजनाओं पर कोई विवाद नहीं है और इन पर किसी प्रकार की पर्यावरणीय आपत्ति भी दर्ज नहीं की गई है। शेष 10 परियोजनाओं को सुप्रीम कोर्ट की एक्सपर्ट बॉडी से पहले ही मंजूरी मिल चुकी है। इन 21 परियोजनाओं पर काम शुरू करने के लिए पिछले 12 सालो से लम्बा इंतजार किया जा रहा था। वहीं दूसरी और धामी सरकार के कार्यकाल में इस दिशा में सबसे ज्यादा प्रगति हुई है, जहां केंद्र स्तर पर न केवल इन परियोजनाओं की जोरदार पैरवी की गई, बल्कि केंद्र के सभी संबंधित विभागों के बीच समन्वय भी स्थापित किया गया, जिससे इन परियोजनाओं के क्रियान्वयन का मार्ग प्रशस्त हो सके।

ऊर्जा, पर्यावरण, जल शक्ति मंत्रालय और पीएमओ को एक टेबल पर बैठाया गया। इन्हीं प्रयासों के चलते सुप्रीम कोर्ट ने 21 परियोजनाओं पर फैसला लेने से पहले कैबिनेट सचिव की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय समिति का भी गठन किया है।बता दें कि समिति को तीन महीने में रिपोर्ट देनी होगी धामी सरकार के इन प्रयासों से उम्मीद जगी कि अक्तूबर तक समिति की रिपोर्ट जमा होने के बाद नवंबर तक सुप्रीम कोर्ट अपना अहम फैसला देगा।

CM DHAMI ने उठाए अहम कदम-

इन परियोजनाओं के साथ-साथ जल शक्ति में अटकी गंगा और उसकी सहायक नदियों से अलग अन्य नदियों में हाइड्रो प्रोजेक्ट्स की मंजूरी के लिए भी मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बहुत प्रयास किए हैं। बता दें कि उन्होंने इन परियोजनाओं को अंजाम तक पहुंचाने की दिशा में अहम कदम उठाए गए हैं। इसी क्रम में, केंद्रीय जल शक्ति मंत्री सीआर पाटिल से मुलाकात कर, धामी ने इन हाइड्रो प्रोजेक्ट्स को मंजूरी देने का भी अनुरोध किया है, जिससे राज्य में जल विद्युत विकास को तेज़ गति मिल सके।

धामी सरकार ने इस दिशा में निर्णायक बढ़त बनाई-

24 सालों में किसी भी सरकार ने उत्तराखंड को ऊर्जा सेक्टर में आत्मनिर्भर बनाने को थर्मल पावर प्लांट क्षेत्र में कोई भी कोशिश नहीं की गई है। धामी सरकार ने इस दिशा में निर्णायक बढ़त बनाई है।THDC संग मिलकर ज्वाइंट वेंचर बनाकर थर्मल प्लांट की संभावनाओं पर कदम आगे बढ़ा दिए हैं। उत्तराखंड ने थर्मल पावर प्लांट की दिशा में सबसे अहम कोल ब्लॉक आवंटित कराने में सफलता हासिल की है। अब राज्य पहली बार अपना थर्मल पावर प्लांट लगा कर बिजली उत्पादन के क्षेत्र में आगे बढ़ेगा।

ऊर्जा स्रोत से कितनी  मेगावाट बिजली उत्पादन की हैं संभावनाएं ?

जियो थर्मल एनर्जी (भू-तापीय ऊर्जा) के क्षेत्र में बिजली उत्पादन के लिए उत्तराखंड ने आइसलैंड के साथ मिलकर अपनी कवायद को तेज कर दिया है। राज्य में इस ऊर्जा स्रोत से 10 हजार मेगावाट बिजली उत्पादन की संभावनाएं हैं। इन्हीं संभावनाओं को साकार करने के उद्देश्य से उत्तराखंड ने आइसलैंड के साथ मिलकर काम करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं, जिससे राज्य में ऊर्जा उत्पादन के नए आयाम प्राप्त हो सके।

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