Uttarakhand: देश में ऐसे बहुत से मामलें सामने आते जिसे सुनकर रूह तक कांप जाती है। कानून के अंतर्गत गुनाह करने वाले को सजा भी मिलती हैं लेकिन कुछ मामलें ऐसे भी होते हैं जिसके गुनाहों की सजा कोई और भी काट रहा होता हैं और कुछ ऐसी ख़बर होती हैं जिसमें अपराधी माता-पिता है लेकिन सलाखों के पीछे उनके मासूम बच्चों को भी जाना पड़ता हैं।
दरअसल, किसी गुनाह के कारण जब भी कोई माता जेल जाती है तो उनके बच्चों को भी साथ जाना पड़ता है क्योंकि जेल नियमावली के अनुसार, छोटे बच्चों को वो सब कुछ मिलना चाहिए, जिससे उनका बचपन कैद जैसा न लगे और मां की देखभाल मिल सके। इसलिए राज्य बाल आयोग की अध्यक्ष डॉ. गीता खन्ना ने टीम संग सुद्धोवाला जेल का औचक निरीक्षण किया वहां जाकर देखा कि नियमों का पालन सही से हो रहा है या नहीं,
छह साल तक के बच्चे जेल में काट रहे सजा-
निरिक्षण करने पर यह पता चला कि महिला कैदियों के साथ छह साल से कम उम्र के पांच बच्चे मिले। डॉ. खन्ना ने बच्चों से बातचीत कर उनका हाल भी जाना। जेल नियमावली के अनुसार, सजायाफ्ता कैदियों के छह साल तक के बच्चे माता के साथ जेल में रह सकते हैं, क्योंकि बच्चे को मां की देखभाल और पोषण की जरूरत होती है। निरीक्षण में शामिल आयोग सदस्य विनोद कपरवाण और अनु सचिव डाॅ. एसके सिंह ने बताया, जेल व्यवस्था से संतुष्ट हैं।
उन्होंने यह कहा कि, कैदियों के मानसिक व बौद्धिक विकास का ध्यान रखा जा रहा है। सभी महिला कैदियों की समय-समय पर काउंसलिंग की जाती है। उनके लिए रेडियो की व्यवस्था है। दूरभाष पर उनके परिचितों से सप्ताह में एक दिन बात कराने का प्रावधान भी है। निरीक्षण के दौरान आयोग अध्यक्ष ने महिला कैदियों व बच्चों में आयरन व विटामिन डी के सप्लीमेंट दी जानें कि भी बात कही, जिससे उन्हें आयरन व विटामिन की कमी से बचाया जा सके।
आयोग की देखरेख में पुनर्वास का दिया आदेश
पति की हत्या के जुर्म में जेल में उम्रकैद की सजा काट रही महिला ने आयोग अध्यक्ष डॉ. गीता खन्ना को बताया कि उसके दो बेटे एक उन्नीस साल का दूसरा 12 का। मेरे जेल जाने से दोनों ड्रग्स की चपेट में आकर बर्बाद हो रहे हैं। आयोग अध्यक्ष ने 12 साल के बच्चे का आयोग की देखरेख में पुनर्वास का आदेश दिया, जिसके बाद बच्चे को आश्रय गृह में रखकर नशे की लत से बचाया जाएगा।
इस मामलें को लकर आयोग अध्यक्ष ने क्या बताया ?
आयोग अध्यक्ष ने बताया, महिला कैदी ने पति हत्या कर दी थी। जेल में निरीक्षण के दौरान महिला ने बताया, उसके दोनों बेटे बर्बाद हो रहे हैं। यह सब बताते-बताते वह रोने लगी। चूंकि 12 साल के बच्चे का पुनर्वास बाल आयोग के क्षेत्राधिकार में आता है, इसलिए ऋषिकेश से उस बच्चे को दादा-दादी के पास से रिकवर कर पुनर्वास के निर्देश दिए गए हैं।