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Kajari Teej पंचक के साथ पड़ रहा भद्रा का साया, क्या पूजा पर पड़ेगा प्रभाव ? जानें पूजा विधि

Kajari Teej: आज देश में कजरी तीज का पावन पर्व मनाया जा रहा हैं। इसे लेकर महिलाओं के बीच काफी उत्सुकता दिखाई दे रही हैं। आज के दिन सुहागिन महिला अपने पति की लम्बी उम्र के लिए उपवास रखती हैं और तीज माता की पूजा करती हैं। इस बार इस अवसर पर अच्छा संयोग बन रहा है। चलिए जानते हैं पूजा विधि और मंत्र 

22 अगस्त दिन गुरुवार को इस बार कजरी तीज के दिन सर्वार्थ सिद्धि योग बन रहा है, लेकिन दिनभर पंचक रहेगा और दोपहर तक भद्रा का साया है। ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यह है कि कैसे पूजा और वर्त किया जाएगा। कजरी तीज के मुहूर्त, मंत्र, सामग्री और पूजा विधि के बारे में ज्योतिषाचार्य डॉ. भार्गव का कहना है कि सभी पंचक हानिकारक नहीं होते हैं, वैसे भी कजरी तीज के दिन लगा पंचक, राज पंचक है, जो शुभ माना जाता है क्योंकि इसका प्रारंभ सोमवार को रक्षाबंधन के दिन हुआ था।

कजरी तीज शुभ-मुहूर्त

  • भाद्रपद कृष्ण तृतीया तिथि का प्रारंभ: 21 अगस्त, बुधवार, शाम 05:06 बजे से
  • भाद्रपद कृष्ण तृतीया तिथि का समापन: 22 अगस्त, गुरुवार, दोपहर 01:46 बजे पर
  • पूजा का समय: सुबह 05:54 से 09:09 तक हैं 

सर्वार्थ सिद्धि योग क्या डालेगा पूजा पर प्रभाव-

कजरी तीज के अवसर पर सर्वार्थ सिद्धि योग बन रहा है। सर्वार्थ सिद्धि योग रात में 10 बजकर 05 मिनट से बन रहा है, जो अगले दिन 23 अगस्त को सुबह 05 बजकर 55 मिनट तक रहने वाला हैं और सर्वार्थ सिद्धि योग में आप जो भी कार्य करते हैं, वह सफलतादायक होता है। इस योग में जो भी कार्य करेंगे, उसके सफल सिद्ध होने की संभावना  सबसे ज्यादा होती है कजरी तीज पर मतलब आज के दिन राज पंचक लगा है। राज पंचक में राजा के समान सुख प्राप्त होता है। इस वजह से कजरी तीज पर लगा पंचक व्रती के लिए शुभ फलदायी कहा जाता है।

भद्रा का समय-

कजरी तीज यानि आज के दिन सुबह से ही भद्रा लगा हुआ हैं जिसका समय 5 बजकर 54 मिनट से दोपहर 1 बजकर 46 मिनट तक है। इस भद्रा का वास पृथ्वी लोक पर है।  भद्रा में पूजा-पाठ पर रोक नहीं होगा।

पूजा मंत्र-

  1. हे गौरी शंकरार्धांगी। यथा त्वं शंकर प्रिया,
    तथा मां कुरु कल्याणी, कान्त कान्तां सुदुर्लभाम्।
  2. या देवी सर्वभूतेषु मां गौरी रूपेण संस्थिता,
    नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।

पूजन सामग्री-

तीज माता यानि माता पार्वती, भगवान शिव और गणेश जी की मूर्ति, लकड़ी की एक चौकी, जनेऊ, अक्षत्, फूल, फल, माला, पान, सुपारी, श्रृंगार सामग्री, हरे रंग की नई साड़ी, एक चुनरी, दूर्वा, हल्दी, कुमकुम, चंदन, गंगाजल, बेलपत्र, भांग, धतूरा, दूध, दही, शहद, पंचमेवा, धूप, दीप, गंध, मिठाई, नैवेद्य, तीज व्रत कथा, आरती की पुस्तक आदि।

क्या है पूजा विधि ?

तीज के दिन शुभ मुहूर्त में एक चौकी पर भगवान शिव, माता पार्वती और गणेश जी की स्थापना करें। फिर सबसे पहले गणेश जी की पूजा करें। उनको अक्षत्, फूल, हल्दी, दूर्वा, चंदन, धूप, दीप, जनेऊ, पान, सुपारी आदि चढ़ाएं। उसके बाद शिव जी को बेलपत्र, भांग, धतूरा, गंगाजल, अक्षत्, फूल, शहद, चंदन, जनेऊ आदि अर्पित करते हुए पूजन करें। फिर माता पार्वती की पूजा करें। उनको लाल फूल, अक्षत्, कुमकुम, सोल​ह श्रृंगार की सामग्री, माला, चुनरी, साड़ी, धूप, दीप, नैवेद्य चढ़ाएं। उसके बाद कजरी तीज की व्रत कथा सुनें। फिर आरती करें। पूजा के अंत में मनोकामना पूर्ति के लिए प्रार्थना करें।

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