Bhang Ki Chutney: हिंदुस्तान का खाना अचार चटनी और पापड़ के बिना अधुरा हैं। गर्मी हो या सर्दी खानें का स्वाद बढ़ाने के लिए आम, प्याज, टमाटर और हरे धनिया की चटनी जरुर खाई जाती हैं, लेकिन कुछ ऐसे नाश्ते होते हैं जो चटपटी चटनी के बिना अधूरे होते हैं। अपने अक्सर प्यार, आम, टमाटर, हरी मिर्च से बनी हुई चटनी जरुर खाई होगी लेकिन क्या आपने भांग की चटनी खाई है अब आप भी इसे सुनकर हैरान हो गए होंगे। तो चलिए आपको बताते हैं की किस राज्य में इस चटनी को बड़े चाव से खाया जाता है।
पहाड़ी राज्य में क्यों किया जाता हैं पसंद ?
पहाड़ी राज्य उत्तराखंड में भांग की चटनी को बहुत चाव से खाया जाता हैं। ये वहां का एक खास आइटम है और वहां के लोग इसे पसंद से खाते हैं। भांग का नाम सुनकर आपको लग रहा होगा कि इसे खाने से लोगों को नशा भी होता होगा लेकिन बता दें कि ऐसा कुछ नहीं हैं भांग के बीज में किसी भी तरह का कोई नशा नहीं होता है। इसीलिए पहाड़ के हर घर में भांग की चटनी बनाई जाती है। यह खाने में भी बेहद स्वादिष्ट होती है। इसके बिना पहाड़ पर होली खेलने का मजा फीका रहता है। होली के मौके पर इसे खास तौर से बनाया जाता है।
स्वास्थ्य के लिए कितना लाभदायक ?
भांग के बीजों का सेवन करना सेहत के लिए लाभदायक होता है। वहीं भांग की चटनी खाने से सेहत भी अच्छी रहती है। जानकारी के लिए बता दें कि, भांग के बीजों में प्रोटीन, फाइबर, ओमेगा-3 और ओमेगा-6 फैटी एसिड पाए जाते हैं। इसके सेवन से स्किन और बाल अच्छे रहते हैं। साथ ही भांग के बीजों में एंडी-ऑक्सीडेंट्स भी मौजूद होते हैं, जो स्किन, हार्ट और हड्डी के जोड़ों के लिए लाभदायक होते हैं। इसमें फाइबर की भी अच्छी खासी मात्रा होती है। जिसकी वजह से बार-बार भूख नहीं लगती है और पेट भरा-भरा महसूस होता है।
कई रूप में किया जाता हैं इस्तेमाल-
भांग के पौधे का नाम सुनते ही सभी को ऐसा लगता है कि इसका इस्तेमाल केवल नशा के लिए किया जाता हैं लेकिन ऐसा कुछ नहीं हैं पहाड़ी लोग इसका प्रयोग विभिन्न रूप में करते हैं जैसे इसके बीजों की चटनी बनाने के अलावा सब्जियों का मसाला और तेल भी निकालते हैं। इसके तनों से निकलने वाले रेशों की रस्सियां तैयार करना दूसरी सच्चाई यह है कि यह पहाड़ी राज्य के लोग भांग के उपयोग के बारें में पहले से ही जानते थे जिन पर बाकी दुनिया अब काम कर रही है। यूरोप और अमेरिका में भांग के बीजों से कई प्रोडक्ट तैयार किए जा रहे हैं। दिलचस्प बात यह है कि ये प्रोडक्ट लोकप्रिय भी हो रहे हैं।
भांग की क्या है सच्चाई ?
भारत में भांग की मुख्य तौर पर दो प्रजातियां पायी जाती हैं, कैनबिस इंडिका और कैनबिस सटाइवा। यह भी एक सच्चाई है कि भांग को नशा करने के लिए खाया जाता है। शराब की तरह इसका भी सरकारी ठेका होता है, जहां यह आसानी से मिल जाती है। भांग को ठंडाई में मिलाकर भी पिया जाता है। जिससे ठंडाई का स्वाद भी आता है और पीने वाले को नशा भी होता है। जो अन्य नशे होते हैं, जैसे गांजा, मारिजुआना या वीड, वो भी भांग से ही तैयार होते हैं। भांग के पौधे में एक चिपपिचा पदार्थ भी पाया जाता है, जिसे राल कहते हैं। उससे चरस तैयार की जाती है।
सुस्ती और डायरिया में इस्तेमाल –
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार कुछ अध्ययन बताते हैं कि भांग कैंसर, एड्स अस्थमा और ग्लूकोमा जैसी बीमारियों के इलाज में मददगार है। विश्व के 18 से अधिक देश चिकित्सीय प्रयोग के लिए गांजे को कानूनी वैधता प्रदान कर चुके हैं। हालांकि उसका यह भी मानना है कि गांजे के चिकित्सीय इस्तेमाल को लेकर अभी और अध्ययन की आवश्यकता है। एक आकलन के अनुसार कई देशों में भांग की खेती की जा रही है। इलाज में गांजे के शुरुआती प्रयोग की जानकारी भी अथर्ववेद में मिलती है। सुश्रुत संहिता में भी गांजे के चिकित्सीय प्रयोग की जानकारी है। सुस्ती, नजला और डायरिया में इसके इस्तेमाल का जिक्र मिलता है।