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UTTARAKHAND:वन विभाग में लंबित जांच और कार्रवाई कई सालों से अटका, प्रमुख सचिव ने दिया सख्त निर्देश 

UTTARAKHAND: उत्तराखंड राज्य बनने के बाद वन विभाग में अनियमितताओं के आरोपों को लेकर 16 आईएफएस अधिकारियों के खिलाफ जांच के आदेश दिए गए थे, लेकिन दुर्भाग्यवश  इस जांच की प्रक्रिया इतनी धीमी रही कि दो वरिष्ठ अधिकारियों का अचानक निधन हो गया। उनके जीवनकाल में जांच पूरी नहीं हो सकी, जिससे न केवल उनके खिलाफ आरोप सही या गलत साबित होने का मौका छूट गया, बल्कि उनके मामले में कोई अनुशासनिक कार्रवाई भी नहीं हो पाई। यह स्थिति दर्शाती है कि सरकारी जांच प्रक्रियाओं में देरी से न केवल अधिकारियों की व्यक्तिगत छवि प्रभावित होती है, बल्कि न्यायिक प्रक्रिया पर भी सवाल उठते हैं।

विभाग में अनुशासनिक कार्रवाई की स्थिति इतनी ख़राब चल रही थी कि।एक DFO को निलंबित यानी की निकाल दिया गया था।लेकिन उनके मामले में अभी तक जांच अधिकारी नामित नहीं किया जा सका है। इसके साथ , दो और अधिकारियों के मामलों में भी जांच अधिकारी नहीं नामित हुए हैं, जिससे जांच की प्रक्रिया अधूरी है। 

UTTARAKHAND: अधिकारियों पर अनियमितताओं के लगे थे गंभीर आरोप

उत्तराखंड वन विभाग में दो अपर प्रमुख वन संरक्षक स्तर के अधिकारियों पर अनियमितताओं के गंभीर आरोप लगे थे। 2022 में एक अधिकारी के खिलाफ आरोप पत्र जारी किया गया था, और जांच तत्कालीन प्रमुख वन संरक्षक ज्योत्सना सितलिंग को सौंपी गई थी। हालांकि, उनके रिटायरमेंट और निधन के बाद इस मामले को बंद कर दिया गया। इसी तरह, 2020 में एक अन्य वरिष्ठ अधिकारी के खिलाफ आरोप पत्र जारी किया गया था,

जिसकी जांच अनूप मलिक को सौंपी गई थी, लेकिन उनके निधन के बाद यह जांच भी रोक दी गई। इन घटनाओं से यह स्पष्ट होता है कि जांच प्रक्रिया को समय पर पूरा न कर पाने के कारण मामलों को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया, जिससे न्यायिक कार्रवाई बाधित हो गई।वर्तमान में 11 सेवारत और सेवानिवृत्त आईएफएस अधिकारियों की जांच अभी भी प्रचलित है, जिसमें डीएफओ से लेकर प्रमुख वन संरक्षक स्तर तक के अधिकारी शामिल हैं।

इन अधिकारियों पर विभिन्न गंभीर आरोप लगे हैं, जैसे राजकीय कार्यों में उदासीनता, वन आरक्षी भर्ती में अनियमितता, अवैध निकासी, अनाधिकृत अनुपस्थिति, और अवैध पातन। हालांकि, कई मामलों में जांच अधिकारी नामित कर दिए गए हैं, लेकिन प्रक्रिया अभी भी लंबित है, जिससे कार्रवाई अटकी हुई है। कुछ मामलों में, जैसे आईएफएस टीआर बीजूलाल और बीपी सिंह के खिलाफ आरोप साबित नहीं हो सके थे, जिसके चलते उन्हें दोषमुक्त कर दिया गया। यह स्थिति जांच प्रक्रिया में तेजी लाने और लंबित मामलों के समाधान की आवश्यकता को उजागर करती है।

UTTARAKHAND: लंबित जांच और कार्रवाई में हो रही देरी को देखते हुए दिया निर्देश

वन विभाग में चल रही लंबित जांच और कार्रवाई में हो रही देरी को देखते हुए प्रमुख सचिव आरके सुधांशु ने गंभीर रुख अपनाया है। उन्होंने सभी लंबित जांचों को जल्द से जल्द पूरा करने के सख्त निर्देश दिए हैं। सुधांशु का कहना है, “जांच का काम समयबद्ध होना चाहिए,” और उन्होंने जांच अधिकारियों को इसके लिए स्पष्ट निर्देश जारी किए हैं। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि समय पर कार्रवाई होना जरूरी है ताकि निष्पक्ष जांच के बाद दोषियों के खिलाफ उचित कार्रवाई की जा सके।

वन विभाग में आईएफएस अधिकारियों के खिलाफ चल रही जांच की धीमी गति और वरिष्ठ अधिकारियों के निधन के बाद कई मामलों के बंद होने ने विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए हैं। प्रमुख सचिव के इस सख्त रुख के बाद अब यह उम्मीद की जा रही है कि लंबित जांच जल्द ही पूरी की जाएगी और विभागीय अनुशासनिक कार्रवाई समयबद्ध रूप से निपटाई जाएगी, जिससे कार्यप्रणाली में पारदर्शिता और जिम्मेदारी सुनिश्चित हो सकेगी।

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