UTTARAKHAND: भैरोंघाटी से पीडीए तक की सड़क को सेना की भविष्य की जरुरतों को ध्यान में रखते हुए तैयार व बनाया जाएगा। इसके लिए बॉर्डर रोड ऑर्गेनाइजेशन (बीआरओ) ने भारत माला परियोजना के तहत सीमा क्षेत्र सड़क पुनर्वास के लिए लगभग एक हजार करोड़ रुपये की लागत की डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट (डीपीआर) तैयार की है। इस सड़क का निर्माण सामरिक दृष्टिकोण से बहुत महत्वपूर्ण होगा, इसके कारण सेना की आवाजाही और आपूर्ति व्यवस्था में सुधार और सहायता होगा।
सुधार कार्यों को तेज़ी से आगे बढ़ाने पर विशेष ध्यान-
इस परियोजना के तहत सीमा क्षेत्र में मौजूद पुराने बैली ब्रिज को पक्के डबल लेन पुलों में तब्दील यानी बदला जाएगा, इससे यह सहायता होगी कि उनकी मजबूती और यातायात क्षमता में बेहद सुधार होगा। साथ ही, पहली बार लंबे समय से सक्रिय भूस्खलन जोनों का भी उपचार शुरू किया जाएगा, जिससे सड़कें अधिक सुरक्षित बनेंगी। उत्तराखंड राज्य के उत्तरकाशी, चमोली, और पिथौरागढ़ जिलों की सीमाएं चीन से सटी हुई हैं। पिछले कुछ वर्षों में केंद्र सरकार ने इन क्षेत्रों में सड़क सुधार कार्यों को तेज़ी से आगे बढ़ाने पर विशेष ध्यान दिया है, ताकि रणनीतिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण इन इलाकों की कनेक्टिविटी को बेहतर बनाया जा सके।
बता दें कि अब सीमा क्षेत्र में अग्रिम चौकियों तक भी पक्की और अच्छी सड़क बनाई जा रही है। इसके साथ अब सेना की भविष्य की जरूरतों को भी ध्यान में रखकर सड़क को सुधारने की योजना है। बीआरओ ने केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी भारत माला परियोजना में इसके लिए डीपीआर (विस्तृत कार्य योजना) तैयार की है।
पक्के और डबल लेन पुलों में तब्दील-
इस योजना के तहत भैरोंघाटी से पीडीए तक करीब 60 किलोमीटर के दायरे में सीमा क्षेत्र की सड़क को सेना की भविष्य की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए तैयार किया जाएगा। इस क्षेत्र में सीपीडब्ल्यूडी के अधीन छह बैली ब्रिज आते हैं, जो पक्के और डबल लेन पुलों में बदल दिए जाएंगे।
जल्द स्वीकृति मिलने की उम्मीद-
वहीं, भैरोंघाटी से करीब 10 किमी आगे हवा मोड़ नामक जगह पर सक्रिय भूस्खलन जोन समेत पांच भूस्खलन जोन का भी सुधार किया जाएगा। बीआरओ के वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया, उक्त योजना की डीपीआर को जल्द स्वीकृति मिलने की उम्मीद है, जिसके बाद यह कार्य शुरू कर दिए जाएंगे।
डॉ. मेहरबान सिंह बिष्ट, डीएम उत्तरकाशी-
सीमा क्षेत्र में सीपीडब्ल्यूडी के साथ बीआरओ सड़क सुधार के लिए काफी पहले से काम कर रहा है। भारत माला परियोजना में सेना की भविष्य की जरूरतों को ध्यान में रखकर कार्य होंगे तो यह सीमा क्षेत्र की सुरक्षा के लिए कारगर होगा
क्या है भारत माला परियोजना ?
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि केंद्र सरकार सड़क, परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने यह परियोजना वर्ष 2015 में प्रारंभ की थी, जो सीमा क्षेत्र सहित तटीय और बंदरगाह कनेक्टिविटी सड़कों के विकास, राष्ट्रीय गलियारों, आर्थिक गलियारों व अन्य की दक्षता में सुधार पर केंद्रित हैं। परियोजना के पहले चरण का लक्ष्य 5।35 लाख करोड़ रुपये की लागत से 34,800 किलोमीटर राजमार्ग बनाना है।