TB: टीबी के मरीजों के लिए एक बड़ी खबर है। जो उनके लिए काफी लाभदायक साबित हो सकेगी, क्योंकि अब उनका इलाज नए तरीके से हो पाएगा। जो छोटा है, लेकिन ज्यादा असरदार है। इस ट्रीटमेंट को शुरू करने के लिए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से (06 सितंबर) को मंजूरी दे दी गई। बता दें कि इस बीमारी को जड़ से खत्म करने के लिए केंद्र सरकार ने साल 2025 तक का टारगेट तय किया है।
TB: दवाई बेहद असरदार और सुरक्षित
जानकारी के मुताबिक, टीबी का नया इलाज (BPaLM) से किया जाएगा। आपको बता दें कि, BPaLM में चार दवाओं बेडाकुलाइन, प्रीटोमैनिड, लाइनजोलिड और मॉक्सिफ्लोक्सासिन का कॉम्बिनेशन है। ऐसा दावा किया गया है कि यह दवाई बेहद असरदार और सुरक्षित है, बता दें कि, पिछले एमडीआर-टीबी इलाज प्रोसेस से बेहतर साबित हुई है।
जानकारी के मुताबिक, पारंपरिक एमडीआर-टीबी का इलाज 20 महीने तक कराना पड़ सकता है और इसके गंभीर दुष्प्रभाव भी होने का खतरा रहता है। माना जा रहा है कि यह कदम देश से टीबी को खत्म करने के राष्ट्रीय लक्ष्य को हासिल करने के लिए बेहद अहम साबित हो सकता है।
TB: 75,000 दवा-प्रतिरोधी टीबी मरीजों को मिल सकेगा इसका लाभ
बेडाकुलाइन और लाइनजोलिड (मॉक्सिफ्लोक्सासिन के साथ या उसके बिना) के कॉम्बिनेशन में नई एंटी-टीबी दवा प्रीटोमैनिड को शामिल किया गया है। प्रीटोमैनिड को भारत में पहले ही केंद्रीय दवा मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) द्वारा अनुमोदित और लाइसेंस प्राप्त हो चुका है। अब, स्वास्थ्य मंत्रालय से इलाज की शुरुआत को मंजूरी मिलने के बाद, देश के 75,000 दवा-प्रतिरोधी टीबी मरीजों को इसका लाभ मिल सकेगा। इस नई दवा के उपयोग से मरीजों के ठीक होने का समय कम हो जाएगा और उपचार का खर्च भी घटेगा, जिससे टीबी के खिलाफ लड़ाई में यह एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगा।
TB: इलाज में बेहतर परिणाम और कम खर्च की उम्मीद
स्वास्थ्य मंत्रालय से मिली जानकारी के अनुसार, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग ने स्वास्थ्य अनुसंधान विभाग के परामर्श से टीबी के नए उपचार की मान्यता सुनिश्चित की है। इस प्रक्रिया में देश के विषय विशेषज्ञों द्वारा साक्ष्यों की गहन समीक्षा की गई है। साथ ही, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग ने स्वास्थ्य अनुसंधान विभाग के माध्यम से स्वास्थ्य प्रौद्योगिकी मूल्यांकन भी कराया है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि मल्टी-ड्रग रेसिस्टेंट टीबी (MDR-TB) का यह उपचार विकल्प सुरक्षित और लागत प्रभावी हो। इससे दवा-प्रतिरोधी टीबी के मरीजों के इलाज में बेहतर परिणाम और कम खर्च की उम्मीद की जा रही है।