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Railway Kavach: ट्रेन टक्कर को कम करने के लिए क्या है ‘कवच’? किन मार्गों पर होगा इस्तेमाल ?

Railway Kavach: इन दिनों रेलवे से जुडी कई खबरें ऐसी आ रही हैं जो लोगों का दिल दहला कर रख दे रही है। फ़िलहाल इस समय रेलवे सुरक्षा देश में चर्चा का विषय बना हुआ है। बता दें कि ट्रेन टक्कर के मामलें आए दिन बढ़ते जा रहें हैं। हुई घटनाओं के बाद टक्कर रोधी तकनीक ‘कवच’ को लेकर बात शुरु हो गई। विपक्ष ने मांग उठाई है कि सभी रेल मार्गों पर यह तकनीक लगाई जानी चाहिए। 

Railway Kavach: कवच का क्या है उदेश्य ? 

“कवच” एक स्वदेशी स्वचालित ट्रेन सुरक्षा (ATP) प्रणाली है जिसे भारत में विकसित किया गया है। इसका उद्देश्य केवल रेल यात्रा को सुरक्षित बनाना है। जनकारी के मुताबिक,यह प्रणाली तब सक्रिय होती है जब ट्रेन का लोको पायलट ब्रेक लगाने में असमर्थ होता है, और ऐसे में “कवच” स्वचालित रूप से ट्रेन की गति को नियंत्रित करता है और  जरूरत पड़ने पर ब्रेक लगा देता है। 

यह प्रणाली विशेष रूप से तब मददगार साबित होती है जब ट्रेन को प्रतिकूल मौसम की स्थिति, जैसे कोहरा, बारिश या बर्फबारी के दौरान सुरक्षित रूप से चलाना हो। इसके अलावा, “कवच” तकनीक ट्रेनों के बीच होने वाली संभावित टक्करों को रोकने के लिए भी कारगर है, क्योंकि यह ट्रेनों की ट्रैक पर स्थिति और गति पर निगरानी रखती है और आपस में टकराने की आशंका को कम करती है। रेल मंत्रालय के अनुसार, यह प्रणाली ब्लॉक खंडों और पटरियों पर ट्रेनों की सुरक्षा बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण साबित हो रही है।

Railway Kavach: 144 इंजनों पर स्थापित किया गया

“कवच” प्रणाली को भारतीय रेलवे में सुरक्षा बढ़ाने के उद्देश्य से क्रमिक रूप से तैनात किया जा रहा है। रेलवे बोर्ड के अनुसार, इसे अब तक दक्षिण मध्य रेलवे के 1465 रूट किलोमीटर और 144 इंजनों पर स्थापित किया गया है। वर्तमान में, इसका काम दिल्ली-मुंबई और दिल्ली-हावड़ा कॉरिडोर (लगभग 3000 रूट किलोमीटर) पर जारी है। इसे विस्तार के साथ पूरे नेटवर्क में लागू किया जा रहा है।

रेल मंत्रालय के अनुसार, “कवच” के कार्यान्वयन में कई चरण शामिल हैं, जिनमें प्रमुख गतिविधियां हैं:

  • प्रत्येक स्टेशन पर स्टेशन कवच  की स्थापना।
  • पूरे ट्रैक पर RFID टैग्स लगाना ताकि ट्रेनों की स्थिति की निगरानी की जा सके।
  • पूरे सेक्शन में टेलीकॉम टावरों की स्थापना।
  • ट्रैक के साथ ऑप्टिकल फाइबर केबल बिछाना।
  • भारतीय रेलवे के हर लोकोमोटिव पर लोको कवच लगाना।

रेल मंत्रालय ने संसद में यह भी बताया कि 6000 रूट किलोमीटर के कवरेज के लिए विस्तार परियोजना रिपोर्ट (DPR) को मंजूरी दी गई है, जिससे भारतीय रेलवे के सुरक्षा मानकों को और भी उन्नत किया जा सकेगा।

वहीं संसद में दिए एक जवाब में रेल मंत्रालय ने बताया कि कवच के कार्यान्वयन में बहुत से चीजों और गतिविधियों को शामिल  किया जाएगा।  उन्होंने यह भी बताया कि इनमें हर स्टेशन पर स्टेशन कवच लगाया जाएगा,साथ ही पूरे ट्रैक की लंबाई में आरएफआईडी (रेडियो फ्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन) टैग लगाना, पूरे सेक्शन में टेलीकॉम टावर लगाना, ट्रैक के साथ ऑप्टिकल फाइबर केबल बिछाना और भारतीय रेलवे पर चलने वाले प्रत्येक लोकोमोटिव पर लोको कवच का प्रावधान शामिल है।इसके अलावा, 6000 रूट किलोमीटर के विस्तृत अनुमान के साथ भारतीय रेलवे की विस्तार परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) को मंजूरी दे दी गई है। 

Railway Kavach: हुआ कितना खर्च ?

रेवले बोर्ड ने बताया कि 31 मार्च 2024 तक कवच से जुड़े कार्यों पर 1216.77 करोड़ रुपये खर्च किए जा चुके थे। वहीं 2024-25 के बजट में 1112.57 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है। 

बाद में रेलवे बोर्ड ने बताया कंचनजंगा एक्सप्रेस दुर्घटना न्यू जलपाईगुड़ी-बारसोई-मालदा टाउन सेक्शन में हुई है। इस दुर्घटना के बाद रेलवे बोर्ड ने रेलवे सुरक्षा आयोग (सीआरएस) को मामले की जांच के आदेश दिए हैं। सीआरएस द्वारा की जा रही इस जांच का उद्देश्य दुर्घटना के कारणों का पता लगाना और सुरक्षा से जुड़े मुद्दों को समझना है। अंतिम रिपोर्ट का इंतजार किया जा रहा है, जिसके आधार पर भविष्य में सुरक्षा उपायों को और सख्त किया जाएगा।

Railway Kavach: क्या कहते हैं आंकड़े ?

संसद में रेल मंत्रालय द्वारा प्रस्तुत आंकड़ों के अनुसार, भारतीय रेलवे में सुरक्षा उपायों के चलते कुछ साल से दुर्घटना में काफी कमी आई है, सूत्रों के मुताबिक, 2000 से 2001 तक रेलवे दुर्घटना की संख्या लगभग 473 थी जो अब घटाकर केवल 40 ही रह गई है. लेकिन 2004-14 के बीच जहां औसतन हर साल 171 दुर्घटनाएं होती थीं, वहीं 2014-24 में यह आंकड़ा घटकर 68 रह गया।

इसके अलावा, प्रति मिलियन ट्रेन किलोमीटर (APMTKM) दुर्घटनाओं का सूचकांक, जो ट्रेन संचालन में सुरक्षा का मापदंड है, 2000-01 में 0.65 था, जो 2023-24 में घटकर 0.03 हो गया है। यह 95 प्रतिशत से अधिक सुधार को दर्शाता है, जो ट्रेन संचालन में सुरक्षा के बेहतर प्रबंधन की ओर इशारा करता है।

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