Import Tax: केंद्र सरकार द्वारा क्रूड और रिफाइंड सूरजमुखी तेल, पाम ऑयल, और सोयाबीन ऑयल पर कस्टम ड्यूटी बढ़ाने का फैसला आम जनता पर सीधा असर डाल सकता है। सरकार ने क्रूड पाम ऑयल, सोयाबीन और सूरजमुखी तेल पर बेसिक कस्टम ड्यूटी को 0% से बढ़ाकर 20% और रिफाइंड ऑयल पर इसे 12.5% से बढ़ाकर 32.5% कर दिया है। इससे त्योहारी सीजन से पहले, दशहरा और दिवाली के दौरान रिफाइंड तेल के दामों में बढ़ोतरी की संभावना है, जिससे आम लोगों की जेब पर अतिरिक्त भार पड़ेगा।
सरकार का यह कदम आयात पर निर्भरता कम करने, घरेलू उत्पादन को प्रोत्साहित करने, और राजस्व बढ़ाने की दिशा में उठाया गया है। हालांकि, इसका असर महंगाई पर भी हो सकता है, विशेषकर खाद्य तेल की कीमतों में बढ़ोतरी के रूप में।
Import Tax: घरेलू उत्पादन को कैसे मिलेगा बढ़ावा ?
सरकार के हालिया फैसले से घरेलू तेल उद्योग की मांग पूरी हो गई है, क्योंकि यह उद्योग लंबे समय से खाद्य तेलों पर आयात शुल्क बढ़ाने की वकालत कर रहा था। सोयाबीन प्रोसेसर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (SOOPA) और अन्य व्यापारिक संगठनों ने सरकार से यह आग्रह किया था कि सस्ते आयातित तेलों पर ड्यूटी बढ़ाकर किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) का लाभ दिया जाए।
हाल ही में SOOPA के चेयरमैन डेविश जैन ने केंद्रीय कृषि मंत्री से मुलाकात भी की थी, जिसमें उन्होंने आयातित तेलों पर शुल्क बढ़ाने की बात रखी थी। उनका कहना था कि इससे न केवल किसानों को उचित मूल्य मिल सकेगा बल्कि स्वदेशी तेल उद्योग पर आयात का दबाव भी कम होगा, जिससे घरेलू उत्पादन को बढ़ावा मिलेगा।
Import Tax: सोयाबीन की कीमतें में आया उछाल
सरकार के आयात शुल्क बढ़ाने के निर्णय का सीधा लाभ किसानों को मिलेगा, क्योंकि इससे घरेलू बाजार में सोयाबीन और अन्य तिलहनों की मांग बढ़ेगी, जिससे उनके दाम भी ऊपर जाने की संभावना है। यदि रिफाइंड सोया तेल की कीमत 140 रुपए प्रति किलो तक पहुंचती है, तो बाजार में सोयाबीन की कीमतें 5000 रुपए प्रति क्विंटल तक बढ़ सकती हैं। यह मौजूदा कीमतों (4000-4500 रुपए प्रति क्विंटल) से एक महत्वपूर्ण वृद्धि होगी।
इसके साथ ही, सरकार के समर्थन मूल्य (MSP) पर सोयाबीन खरीदने का बोझ भी कम होगा, क्योंकि बाजार में खुद ही किसानों को बेहतर कीमत मिल जाएगी। इससे सरकार के बजट पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। हाल ही में घोषित 4892 रुपए प्रति क्विंटल के MSP के तहत सोयाबीन खरीदी की घोषणा किसानों के लिए अतिरिक्त सुरक्षा प्रदान करती है, लेकिन अब आयात शुल्क बढ़ने से वे बेहतर कीमतें प्राप्त कर सकते हैं।
Import Tax: सरकार के बजाय सीधे बाजार में बेचेंगे अपने उत्पाद
जानकारों की राय से यह स्पष्ट होता है कि आयात शुल्क बढ़ाने के निर्णय से सरकार ने रणनीतिक रूप से अपनी जिम्मेदारी और वित्तीय बोझ को कम करने का प्रयास किया है। जब खुले बाजार में सोयाबीन की कीमतें समर्थन मूल्य से अधिक होंगी, तो किसान सरकार के बजाय सीधे बाजार में अपने उत्पाद बेचेंगे। इससे सरकार को समर्थन मूल्य (MSP) पर सोयाबीन खरीदने और भुगतान करने की जिम्मेदारी से छुटकारा मिल जाएगा, क्योंकि किसानों के लिए अधिक लाभकारी विकल्प उपलब्ध होगा।
चूंकि सोयाबीन का उपयोग सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) में अन्य खाद्यान्न की तरह नहीं किया जा सकता, सरकार के लिए इसका कोई प्रत्यक्ष उपयोग नहीं है। इसलिए, सरकार को सोयाबीन तेल कंपनियों और प्लांट्स को ही बेचना पड़ेगा। इस पूरे परिदृश्य में, सरकार ने न केवल किसानों के लिए लाभ सुनिश्चित किया है बल्कि अपने आर्थिक हितों का भी ध्यान रखा है।
Import Tax: आयात शुल्क में हुई बढ़ोतरी
केंद्र सरकार ने 2023 में लोकसभा चुनाव के मद्देनजर आम जनता को महंगाई से राहत देने के लिए तेल पर आयात शुल्क घटा दिया था, जिससे विदेशों से सस्ता तेल आयात किया जा सका और देश में तेल की कीमतें घट गई थीं। इससे सोयाबीन का तेल 90-95 रुपए प्रति किलो तक बिकने लगा था। हालांकि, हाल के दिनों में यह 110-115 रुपए प्रति किलो तक पहुंच गया है।
अब जब सरकार ने आयात शुल्क को बढ़ाकर 32.5 प्रतिशत कर दिया है, इसका सीधा असर तेल की कीमतों पर पड़ेगा। विशेषज्ञों का अनुमान है कि इस वृद्धि के चलते सोयाबीन रिफाइंड के दामों में 25 से 30 रुपए प्रति किलो तक की बढ़ोतरी हो सकती है। यह वृद्धि दशहरा से पहले होने की संभावना है, जिससे त्योहारों के समय महंगाई का बोझ आम लोगों पर बढ़ जाएगा।