Bulldozer Action: सुप्रीम कोर्ट ने देशभर में हो रही बुलडोजर कार्रवाई पर 1 सितंबर को रोक लगा दी और निर्देश दिया कि किसी भी कार्रवाई के लिए कोर्ट से अनुमति ली जाए। अदालत ने बुलडोजर के इस्तेमाल को लेकर हो रहे “महिमामंडन” पर भी कड़ी टिप्पणी की, यह कहते हुए कि इस तरह की कार्रवाइयों को सामान्य न्याय का साधन नहीं बनाया जाना चाहिए।
अदालत ने यह भी कहा कि बुलडोजर कार्रवाई के कानूनी और संवैधानिक पहलुओं पर ध्यान देने की आवश्यकता है। इस मामले की अगली सुनवाई 1 अक्टूबर को होगी, जिससे संबंधित पक्षों को स्थिति को स्पष्ट करने का मौका मिलेगा।
Bulldozer Action: Cm योगी को लग सकता है झटका
जानकारी के मुताबिक, सुप्रीम कोर्ट का निर्देश यूपी के योगी आदित्यनाथ सरकार के लिए बहुत बड़ा झटका माना जा रहा है जैसे की आप सभी को पता है कि उत्तर प्रदेश के cm को ‘बुलडोजर बाबा’ के नाम से ज्यादा जाना जाता है। मशहूर हुए यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार की ओर से सूबे में बुलडोजर एक्शन के खिलाफ जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई थी।
Bulldozer Action: अवैध निर्माणों पर लागू नहीं होगी निर्देश
सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद 1 अक्टूबर तक बुलडोजर एक्शन पर रोक लग गई है, लेकिन अदालत ने यह स्पष्ट किया कि यह रोक उन अवैध निर्माणों पर लागू नहीं होगी, जो सड़क, फुटपाथ या रेलवे लाइन जैसे सार्वजनिक स्थानों को बाधित कर रहे हैं। ऐसे मामलों में उचित कानूनी कार्रवाई जारी रह सकती है।
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि वह सभी संबंधित पक्षों को सुनने के बाद बुलडोजर कार्रवाई को लेकर देशभर में लागू होने वाले दिशा-निर्देश तैयार करेगा। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि बुलडोजर कार्रवाई केवल कानूनी और संवैधानिक प्रक्रिया के तहत ही हो, न कि इसके दुरुपयोग के रूप में हो।
Bulldozer Action: कार्रवाई दंडात्मक या भेदभावपूर्ण तरीके से की जा रही
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस बी।आर। गवई और जस्टिस केवी विश्वनाथन की बेंच ने विभिन्न राज्य सरकारों द्वारा दंडात्मक उपाय के रूप में आरोपी व्यक्तियों की इमारतों को ध्वस्त करने की कार्रवाइयों के खिलाफ एक दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए 1 अक्टूबर तक बिना अदालत की अनुमति के कहीं भी बुलडोजर कार्रवाई पर रोक लगा दी है। यह निर्देश विशेष रूप से उन मामलों पर लागू होता है, जहाँ आरोप है कि कार्रवाई दंडात्मक या भेदभावपूर्ण तरीके से की जा रही है।
याचिकाकर्ता जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने याचिका में दावा किया है कि बीजेपी शासित राज्यों में मुसलमानों को निशाना बनाते हुए बुलडोजर कार्रवाई की जा रही है। इस दौरान, सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर आपत्ति जताई, यह तर्क देते हुए कि अधिकारियों के हाथ इस प्रकार नहीं बांधे जाने चाहिए, क्योंकि उन्हें कानून व्यवस्था बनाए रखने और अवैध निर्माणों के खिलाफ कार्रवाई करने की आवश्यकता होती है।
Bulldozer Action: संविधान के अनुच्छेद तहत शक्तियों का इस्तेमाल
लेकिन इस मामले में पीठ नरमी बरतने से इनकार करते हुए कहा कि अगर एक सप्ताह के लिए तोड़फोड़ रोक दी जाए तो ‘आसमान नहीं गिर जाएगा’। पीठ ने आगे कहा कि उसने संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत अपनी विशेष शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए यह निर्देश पारित किया है। जस्टिस विश्वनाथन ने सुनवाई के दौरान कहा कि अगर अवैध विध्वंस का एक भी उदाहरण है तो यह संविधान की भावना के विरुद्ध है।