GK: ताजमहल को शाहजहां और मुमताज महल के अमर प्रेम की प्रतीक के रूप में देखा जाता है। यह सिर्फ अपनी सुन्दर कला के लिए ही नहीं बल्कि प्रेम कहानी के लिए भी जानी जाती है। आपको बता दें कि, मुमताज महल की मृत्यु के बाद, शाहजहां ने उनके सम्मान और प्रेम की याद में ताजमहल का निर्माण कराया।
लेकिन ताजमहल से जुड़ी एक अनसुनी कहानी यह भी है कि मुमताज महल को पहले तीन बार अलग-अलग स्थानों पर दफनाया गया था। यह अनसुनी कहानी ताजमहल के साथ जुड़ी कई कहानियों में से एक है, जो इस स्मारक को और भी खास बनाती है।
मुमताज महल की पहली अस्थायी कब्र बुर्ज से दूर बुरहानपुर में बनाई गई थी, जहाँ उनकी मृत्यु हुई थी। इसके बाद उन्हें आगरा लाया गया और एक दूसरी अस्थायी जगह पर दफनाया गया। अंत में ताजमहल का निर्माण पूरा होने के बाद, उन्हें अंतिम रूप से ताजमहल के अंदर उनके स्थायी मकबरे में दफनाया गया। ताजमहल से जुड़ी ऐसी कई कहानियाँ और रहस्य इसे और भी खास और अद्वितीय बनाते हैं, जो शाहजहां और मुमताज के प्रेम को अमर करती हैं।
GK: मुमताज महल की मौत के बाद कहां किया गया दफ्न
आपको जानकर हैरानी होगी कि मुमताज महल का असली नाम अर्जुमंद बानो बेगम था। उनकी मौत 17 जून 1631 को बुरहानपुर में हुई थी। इनकी मृत्यु शाहजहां के दक्षिण भारत के सैन्य अभियान के दौरान मुमताज अपने 14वें बच्चे गौहर आरा बेगम को जन्म देते समय मृत्यु हो गई। इस घटना के बाद शाहजहां एक दम मायूस हो गए थे फिर अपनी पत्नी की याद में उन्होंने एक आलिशान मकबरा बनाने का ठान लिया। शाहजहां की मृत्यु जहां हुई थी वहीं ताप्ती नदी के किनारे एक बाग-बगीचे में अस्थायी कब्र में दफ्नाया गया था। वह इसलिए कि उस समय ताजमहल का निर्माण शुरू नहीं हुआ था।
GK: दूसरी बार कहा किया गया दफ्न ?
शाहजहां मुमताज महल से किए अपने वादे को निभाने के लिए समर्पित थे, इसलिए उन्होंने मुमताज के अंतिम विश्राम के लिए एक भव्य मकबरे का निर्माण लिया था । मुमताज महल की मृत्यु के कुछ महीनों बाद, उनके शव को बुरहानपुर से आगरा लाया गया और “रउजा-ए-मुनव्वरा” नामक एक अस्थायी मकबरे में रखा गया, क्योंकि उस समय ताजमहल का निर्माण कार्य अभी पूरा नहीं हुआ था।
शाहजहां की ख्वाहिश थी कि मुमताज महल का अंतिम विश्राम यमुना नदी के किनारे बने ताजमहल में हो, जो न केवल एक आलीशान मकबरा होगा, बल्कि उनके अमर प्रेम की निशानी भी बनेगा। उन्होंने ताजमहल को एक ऐसी संरचना के रूप में तैयार किया, जो उनके और मुमताज के बीच के अटूट प्यार का प्रतीक हो, जिसे दुनिया सदियों तक याद रखे। ताजमहल की यह प्रेम कहानी इसे न केवल एक ऐतिहासिक धरोहर बनाती है, बल्कि इसे दुनिया के सबसे प्रतिष्ठित और भावनात्मक रूप से समृद्ध स्मारकों में से एक बनाती है।
GK: आखरी बार क्यों किया गया ताजमहल में दफ्न
बता दें कि रउजा-ए-मुनव्वरा मकबरे की जगह पर 1633 में ताजमहल का निर्माण पूरा हुआ। तब जाकर मुमताज महल को तीसरी बार ताजमहल के अंदर उनके आखरी विश्राम स्थान पर दफनाया गया। यह वह मकबरा है, जिसे आज दुनिया भर के लोग देखने आते हैं। मुमताज महल का यह आखिरी दफ्न शाहजहां के गहरे प्यार का सबूत है। यही कारण है कि आज यह प्यार की अमर निशानी के रूप में जाना जाता है।
GK: मुमताज का क्या था सपना ?
शाहजहां के दरबारी इतिहासकार इनायत खां की किताब शाहजहांनामा से यह पता चलता है कि मुमताज महल ने मरने से पहले उन्होंने अपने सपने के बारे में शाहजहां को बताया था। जिसमें उन्होंने सुंदर महल और बाग देखा था। मुमताज ने शाहजहां से यह भी कही थी कि मुझे महल जैसे मकबरे में दफनाया जाए। जब मुमताज की मौत हुई तो शाहजहां अपने वादे को पूरा करने के लिए बेचैन हो गए थे। उन्होंने जानबूझकर ताजमहल के लिए यमुना किनारे की जमीन चुनी, ताकि मकबरे के अतराफ बाग-बगीचों को पानी मिल सके। यही कारण था कि शाहजहां ने मुमताज महल को तीन बार अलग-अलग जगह दफनाया।
GK: दोनों के प्यार ने दुनिया को दिया सबसे खुबसूरत महल
शाहजहां और मुमताज महल की प्रेम कहानी ताजमहल की हर ईंट में बसी हुई है। इन दोनों के प्यार ने दुनिया को सबसे सुन्दर और खुबसूरत महल दिया। आपको बता दें कि ताजमहल सिर्फ एक इमारत नहीं, बल्कि एक सच्चे और गहरे प्यार की निशानी है। यही वजह है कि मुमताज को तीन बार दफनाने की यह कहानी इस निशानी को और भी भावनात्मक और ऐतिहासिक बनाती है। यह अनसुनी कहानी ताजमहल के इतिहास को और भी दिलचस्प और अनोखा बनाती है।