Talcum Powder Risk: नागपुर के सरकारी अस्पतालों में बांटी गई दवाइयों में स्टार्च और टैल्कम पाउडर मिलने का गंभीर मामला सामने आया है। ये नकली दवाइयाँ हरिद्वार स्थित लैब में बनाई गई थीं, और इनकी सप्लाई न सिर्फ महाराष्ट्र बल्कि उत्तर प्रदेश, झारखंड, और छत्तीसगढ़ सहित कई राज्यों में की गई थी। मामले की जांच के बाद 1,200 पेज की चार्जशीट दायर की गई है, जिसमें इस जालसाजी का खुलासा हुआ है। इस घटना ने स्वास्थ्य सेवाओं में गुणवत्ता और सुरक्षा के प्रति लोगों की चिंता बढ़ा दी है।
Talcum Powder Risk: कहां-कहां की गई थीं वितरित
महाराष्ट्र की फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (FDA) ने दिसंबर 2023 में इंदिरा गांधी सरकारी मेडिकल कॉलेज (IGGMCH) में नागपुर सिविल सर्जन के तहत संचालित दवा स्टोर से करीब 21,600 सिप्रोफ्लोक्सासिन की गोलियां जब्त की थीं। जांच में यह पाया गया कि इन गोलियों में कोई औषधीय गुण नहीं थे, जो 2022-2023 में सरकारी अस्पतालों में वितरित की गई थीं। इनमें टैल्कम पाउडर और स्टार्च जैसी सामग्री मिली थी, जो औषधीय रूप से उपयोगी नहीं होती।
Talcum Powder Risk: टैल्कम पाउडर को लेकर पहले भी मचा है बवाल
जॉनसन एंड जॉनसन के बेबी टैल्कम पाउडर को लेकर पहले भी बवाल मच चुका है। टैल्कम पाउडर के खतरे को देखते हुए भारत में इसे बंद करने का फैसला लिया गया था।
हालांकि, कंपनी का कहना था कि कई शोध में दावा किया गया है कि टैल्कम पाउडर का इस्तेमाल पूरी तरह सेफ है। लेकिन कंपनी पर आरोप था कि टैल्कम पाउडर में एस्बेटस की मात्रा मिली थी। इसलिए कंपनी को इसे बंद ही करना पड़ा।
Talcum Powder Risk: क्या है टैल्कम पाउडर?
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि, टैल्कम पाउडर टैल्क से बनता है, जो एक मिनिरल है। यह बहुत सी चीजों से मिलकर बना हुआ है। जैसे कि ये ऑक्सीन, मैग्नीशियम, सिलिकॉन और हाइड्रोजन से बना है। कॉस्मेटिक और पर्सनल केयर बनाने में इसका इस्तेमाल होता है। क्योंकि इसमें नमी सोखने का गुण होता है। जहां से टैल्क निकाला जाता है, वहीं से एस्बेस्टस (Asbestos) भी निकलता है। एस्बेटस ही अभ्रक (Mica) कहलाता है। यह एक तरह का सिलिकेट मिनरल होता है, जिसका क्रिस्टल स्ट्रक्चर काफी अलग होता है।
Talcum Powder Risk: कितना हानिकारक है टैल्कम पाउडर ?
इसमें जो तत्व पाया जाता है इससे शरीर की कोशिकाओं को नुकसान पहुंच सकता है। जानकारी के मुताबिक, रिसर्च में पाया गया है कि इसका इस्तेमाल ओवेरियन कैंसर (Ovarian Cancer) का खतरा बढ़ा देता है। माना जाता है कि टैल्क की माइनिंग के समय इसमें एस्बेस्टस के होने की आशंका काफी ज्यादा होती है। टैल्कम पाउडर से बच्चों में सांस से जुड़ी बीमारियां होती हैं। अमेरिकन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स का दावा है कि टैल्कम पाउडर के सांस के साथ शरीर में जाने से बच्चे को निमोनिया हो सकता है, इसलिए इसका इस्तेमाल या तो कम या बिल्कुल भी नहीं करना चाहिए।