Sunday, September 8, 2024

26.1 C
Delhi
Sunday, September 8, 2024

HomeकारोबारBudget 2024: जैविक प्रदेश बनने की दिशा में उत्तराखंड, दलहन-तिलहन मिशन में...

Budget 2024: जैविक प्रदेश बनने की दिशा में उत्तराखंड, दलहन-तिलहन मिशन में नई कार्यनीति बनाने का निर्णय

Budget 2024: विषम भौगोलिक परिस्थितियों वाले उत्तराखंड में खेती-किसानी के तमाम झंझावत से जूझने के बावजूद खाद्यान्न उत्पादन की स्थिति बेहतर है। कृषि विभाग के आंकड़ों पर गौर करें तो राज्य गठन के समय प्रदेश में खाद्यान्न उत्पादन 16.47 लाख मीट्रिक टन था, जो वर्ष 2022-23 में बढ़कर 17.52 लाख मीट्रिक टन पहुंच गया।

यह तब है, जबकि कृषि क्षेत्रफल में 2.02 लाख हेक्टेयर की कमी आई है। गुजरे वित्तीय वर्ष में भी यह 17 लाख मीट्रिक टन से अधिक रहा है। खाद्यान्न में धान्य फसलों की उत्पादकता में वृद्धि से यह सफलता मिली है, लेकिन दलहन व तिलहन में राज्य की स्थिति बहुत अच्छी नहीं है।

आंकड़े बताते हैं कि दलहन व तिलहन की फसलों की उत्पादकता में गिरावट आई है। अब जबकि केंद्र सरकार ने बजट में इस बार भी कृषि पर विशेष ध्यान केंद्रित किया है तो उससे उम्मीद जगी है कि दलहन व तिलहन को यहां भी बूस्टर डोज मिलेगी।

दलहन और तिलहन मिशन में इन फसलों में आत्मनिर्भरता के दृष्टिगत नई कार्यनीति बनाने का निर्णय लिया गया है। इसमें उत्पादन, उत्पादकता, विपणन व भंडारण जैसे विषय शामिल होंगे। स्वाभाविक रूप से इसका लाभ उत्तराखंड को भी मिलेगा।

जैविक प्रदेश बनने की दिशा में-

प्राकृतिक खेती को प्रोत्साहित करने के केंद्र के प्रयासों से उत्तराखंड जैविक प्रदेश बनने की दिशा में कदम बढ़ाएगा। 13 जिलों वाले उत्तराखंड में नौ जिले विशुद्ध रूप से पर्वतीय हैं, जबकि तीन पर्वतीय व मैदानी भूगोल को स्वयं में समाहित किए हैं। दो जिले विशुद्ध रूप से मैदानी भूभाग लिए हैं।

कृषि के दृष्टिकोण से देखें तो पर्वतीय जिलों में खेती स्वाभाविक रूप से जैविक है। यानी वहां रासायनिक उर्वरकों का प्रयोग न के बराबर होता है। ऐसे में केंद्र ने प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने की बात की है तो राज्य का पर्वतीय क्षेत्र इससे लाभान्वित होगा। यद्यपि, अभी तक गंगा नदी से सटे 41 गांवों में प्राकृतिक खेती को बढ़ावा दिया जा रहा था। अब यह मुहिम तेजी से अन्य क्षेत्रों में भी आगे बढ़ेगी।

राज्य में खेती को लेकर सामने आएगी वास्तविक तस्वीर-

राज्य में खेती पर नजर दौड़ाएं तो यहां अधिकांश जोत छोटी और बिखरी हैं। यहां 65.52 प्रतिशत जोत सीमांत व लघु हैं, जबकि शेष अर्द्ध मध्यम, मध्यम व वृहद। यही नहीं, पर्वतीय क्षेत्रों में छोटी जोत के बिखरी होने से कृषि प्रबंधन में दिक्कतें आ रही हैं। इसमें श्रम अधिक लगता है और उत्पादन भी ठीक से नहीं मिल पाता।

यद्यपि, अब केंद्र सरकार ने कृषि में डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना लागू करने में निश्चय किया है। इसके तहत किसानों की जमीन का ब्योरा भूमि की रजिस्ट्री में दर्ज होगा। यह कदम उठाने पर राज्य में खेती को लेकर वास्तविक तस्वीर सामने आएगी, जिससे चकबंदी के लिए मार्ग खुलेगा। चकबंदी होने पर कृषि भूमि का समान वितरण हो सकेगा।

लोग सब्जी उत्पादन की ओर ज्यादा होंगे उन्मुख-

उत्तराखंड की परिस्थितियां सब्जी उत्पादन के लिए अनुकूल है। यहां उत्पादित फल-सब्जियों की अच्छी खासी मांग भी है। बजट में हुए सब्जी उत्पादन और आपूर्ति श्रृंखला बनाने के प्रविधानों से राज्य में भी लोग सब्जी उत्पादन की ओर ज्यादा उन्मुख होंगे। संग्रहण, भंडारण व विपणन की सुविधा मिलने से किसानों की आय में वृद्धि होगी।

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Most Popular

error: Content is protected !!