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उत्‍तराखंड में NCL लागू करना क्यों है बड़ी चुनौती, राजस्व पुलिस पीछे खींच रही है हाथ ?

उत्तराखंड । प्रदेश में तीन नए कानूनों को लागू करने के क्रम में नए पदों की प्रक्रिया चल रही है और इसके लिए नए उपकरण खरीदे जा रहे हैं। इन सबके बीच देश की एकमात्र राजस्व पुलिस सेवा इसके लिए बिल्कुल भी तैयार नहीं दिख रही है।

क्या है मुख्य कारण ?


इसको लेकर मुख्य वजह यह है कि न तो उनके पास अपराध की जांच के लिए पर्याप्त उपकरण हैं और न ही उन्हें नए कानूनों के संबंध में कोई प्रशिक्षण दिया गया है। यह तक जानकारी नहीं दी गई है कि नए अपराध किस बदली हुई धारा में दर्ज होंगे। ऐसे में राजस्व पुलिस का जिम्मा संभाल रहे पटवारी अब शासन के समक्ष इस कार्य को सिविल पुलिस को ही सौंपने की मांग उठाने जा रहे हैं।

जानिए उत्तराखंड में राजस्व पुलिस के बारे में-


प्रदेश में राज्य गठन के बाद राजस्व पुलिस के अंतर्गत 7500 गांव थे, जहां 1216 पटवारी और 165 कानूनगो इस व्यवस्था को चला रहे थे। हाईकोर्ट के निर्देश के बाद 1250 गांवों को सिविल पुलिस के दायरे में लिया गया है। शेष छह हजार से अधिक गांव अभी राजस्व पुलिस के पास ही हैं। इनमें अभी लगभग 650 पटवारी राजस्व पुलिस की व्यवस्था को देख रहे हैं।

दरअसल, उत्तराखंड में वर्ष 1861 से राजस्व पुलिस, यानी पटवारी पुलिस की व्यवस्था चली आ रही है। इस अनूठी व्यवस्था के अंतर्गत राजस्व क्षेत्रों में पटवारी व कानूनगो को राजस्व कार्यों के साथ ही पुलिस के कार्यों का दायित्व भी निभाना होता है। राजस्व क्षेत्रों में अपराधों की जांच, मुकदमा दर्ज करना और अपराधियों को पकडऩा राजस्व पुलिस की ही जिम्मेदारी है।

यह बात अलग है कि राजस्व पुलिस के पास अपराधियों से मुकाबले के लिए शस्त्र नहीं हैं। प्रदेश में वर्ष 2022 में वनंतरा रिजार्ट प्रकरण के बाद हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को राजस्व पुलिस की व्यवस्था को समाप्त करते हुए इन क्षेत्रों को सिविल पुलिस को देने के निर्देश दिए। इस पर कार्य फिलहाल चल रहा है। इस बीच प्रदेश में तीन नए कानून लागू हो गए हैं।

ऐसे में राजस्व क्षेत्रों में होने वाले अपराधों को भी नए कानून के हिसाब से दर्ज करना और उसी प्रकार जांच करनी है। राजस्व पुलिस को न तो इसका प्रशिक्षण मिला है और न ही उनके पास जांच के लिए कोई उपकरण है। यद्यपि, शासन ने जो व्यवस्था की है उसके अनुसार पुलिस ही इन्हें प्रशिक्षण प्रदान करेगी और समुचित उपकरण उपलब्ध कराएगी।

पर्वतीय पटवारी संघ के अध्यक्ष और अपर मुख्य सचिव का इस पर क्या कहना है ?

पर्वतीय पटवारी संघ के अध्यक्ष विजय पाल सिंह मेहता का कहना है कि राजस्व पुलिस के पास न तो कोई संसाधन हैं और न ही कोई प्रशिक्षण दिया गया है। ऐसे में वे किस प्रकार नए कानून के अंतर्गत कार्यवाही करेंगे। वे इसके लिए बिल्कुल भी तैयार नहीं हैं। सरकार से अनुरोध किया जाएगा कि राजस्व क्षेत्र को जल्द सिविल पुलिस को देते हुए यहां पुलिस से ही अपराधों की जांच कराई जाए।वहीं दूसरी ओर, अपर मुख्य सचिव आनंद बद्र्धन का कहना है कि सभी जिलाधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं वे प्रशिक्षित पुलिस कर्मियों के माध्यम से राजस्व पुलिस कर्मियों को प्रशिक्षण दें। इनके लिए गृह विभाग उपकरण भी क्रय कर रहा है।

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