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भारत का पहला Olympic पदक विजेता बन गया एक रहस्य, हम उठाएंगे इस राज़ से पर्दा…

Olympics: नॉर्मन गिल्बर्ट प्रिचर्ड ये वो शख्स हैं जिन्होंने भारत को पहला ओलंपिक पदक दिलाया था। बता दें कि साल 1900 में कलकत्ता से नॉर्मन गिल्बर्ट प्रिचर्ड, छुट्टियों के लिए इंग्लैंड गए थे और वहीं पर उन्होंने फैसला किया कि ओलंपिक में भाग लेना चाहिए। एथलीट प्रिचर्ड ने दो सिल्वर मेडल्स जीते जो पहला 200 मीटर और दूसरा 200 मीटर बाधा दौड का था। जानकर हैरानी होगी कि यह भारत का पहला ओलंपिक मेडल था। लेकिन कई सालों तक एक बात रहस्य बनकर रही की रिचर्ड के परिवार में कौन कौन था और वो इसके बाद कहां गए एक तरह से उनकी ज़िन्दगी पूरी तरह से रहस्य बन गई।

कब हुआ जन्म?

बुकानन और प्रोजेक्ट में उनके साथी गुलु ईजेकील ने प्रिचर्ड को ‘रहस्यमयी व्यक्ति’ बताया है। उनके मुताबिक नॉर्मन का जन्म 23 जून, 1875 को जॉर्ज पीटरसन प्रिचर्ड और हेलेन मेनार्ड प्रिचर्ड के घर अलीपुर, कलकत्ता में हुआ था। प्रिचर्ड्स ‘फैशनेबल रॉबिन्सन रोड के एक घर में रहते थे और नॉर्मन प्रसिद्ध व्यापारिक कंपनी, बर्ड एंड कंपनी के लिए यह काम किया करते थे।

पता चलता है कि प्रिचर्ड एक बेहतरीन फुटबॉल खिलाड़ी थे और उन्होंने 1894-1900 के बीच लगातार सात बार बंगाल 100 यार्ड भी जीता था। इनको खेल के प्रति काफी रुचि थी यह 1898 और 1899 में 100 मीटर स्प्रिंट में 10.0 सेकंड का रिकॉर्ड बनाया। लेकिन यह बात किसी को नहीं पता चली की ये आखिरकार इंग्लैंड क्यों गए थे। इस बात के कोई कागजात भी नहीं मिले हैं, लेकिन एथलेटिक्स फेडरेशन ऑफ इंडिया के एक लेख के मुताबिक, ऐसा माना जाता है कि वो वहां छुट्टी मनाने गए थे। दरअसल यह असंभव था कि प्रिचर्ड ओलंपिक खेलों में भाग लेने के लिए यूरोप गए हों क्योंकि, ये कोई ऐसी खबर नहीं थी जो यूरोप के दूसरे हिस्सों तक भी पहुंच पाती। यूरोप से कलकत्ता कई मील दूर था, लिहाजा वहां तक ये खबर पहुंचना असंभव था।

ग्रेट ब्रिटेन के रिकॉर्ड में शामिल

वर्ल्ड एथलेटिक्स ने साल 2005 में 2004 ओलिंपिक के लिए ट्रैक और फील्ड के आधिकारिक रिकॉर्डों की एक किताब जारी की थी, जिसमें लिखा गया था कि नॉरमैन ने ब्रिटेन की ओर से ओलंपिक में हिस्सा लिया था। इसके अलावा उनके मेडल्स को ग्रेट ब्रिटेन के रिकॉर्ड में शामिल किया गया था। हालांकि आईओसी के अनुसार, नॉरमैन ने भारत की ओर से हिस्सा लिया था और मेडल्स को भारत के कोटे में शामिल किया गया।

साइलेंट फिल्मों में भी किया काम-

ऐसी संभावना जताई जाती है कि इसके बाद वह साल 1905 में अपने एक्टिंग करियर की शुरुआत करने के लिए वो अमेरिका चले गए थे। साल 2002 में ईस्ट जोन के पूर्व कप्तान और क्रिकेटर राजू मुर्खजी ने इस बात का खुलासा किया था कि नॉरैमन हॉलीवुड में नॉरमैन ट्रेवर नाम से काम करने लगे थे। सुनने में आया की रिचर्ड ने कुछ साइलेंट फिल्मों में काम किया जिसके पोस्टर काफी समय बाद फैंस के सामने आए थे। नॉरमैन का पूरा नाम गिल्बर्ट नॉरमैन पिटकार्ड और स्क्रीन के लिए ट्रेवर नाम था। उनके परिवार से लगभग सभी पुरुषों का नाम इन्हीं नामों पर रखा जाता है। कहा ये भी जाता है कि एक बार ओंलपिक में रूस में उन्हें दर्शकों के रूप में देखा गया था, हालांकि इस बात का कोई पुख्ता साबुत नहीं है। उनके जीवन की खोज करने वाले पत्रकार की मानें तो उन्होंने कैलिफोर्निया में साल 1929 में अपनी अंतिम सांस ली थी।

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