ऋषिकेश। सावन मास के साथ ही कांवड़ यात्रा 22 जुलाई से शुरू होने जा रही है, लेकिन इस बार कांवड़ियों को कुछ परेशानी हो सकती है। बता दें कि, ये परेशानी नीलकंठ महादेव तक पहुंचने पर महसूस होगी है, क्योंकि विश्व प्रसिद्ध लक्ष्मण झूला पुल पूरी तरह से बंद पड़ा है। वहीँ रामझूला पुल का भी हाल खस्ता हुआ पड़ा है। ऐसे में बस एक ही पुल बचा है, जिसके जरिये शिव भक्त कांवड़िये नीलकंठ महादेव तक जा सकेंगे। अभी तक टिहरी पौड़ी प्रशासन ने इसकी कोई खबर नहीं ली है।
वास्तव में ऋषिकेश से नीलकंठ महादेव पहुंचने के लिए झूला पुल की जानकारी टिहरी पौड़ी प्रशासन नहीं ले रहा है और दूसरी तरफ विश्व प्रसिद्ध लक्ष्मण झूला पुल पूरी तरह से बंद पड़ा है। रामझूला पुल का हाल इतना ख़राब हो गया है कि इसे केवल सीमित आवाजाही के लिए खोला गया है। ऐसे में सवाल ये उठता है कि लाखों की संख्या में आने वाले कावड़ियों के आवागमन को लेकर कब योजना बनाई जाएंगी ?जिसके कारण जानकी सेतू पर आवाजाही का दबाव बढ़ जाएगा।पर्यटक भी रामझूला की खस्ता हालत से बेहद नाराज है।
क्या है पुलों की मौजूदा हालत ?
- लक्ष्मण झूला पुल- बंद
- बजरंग सेतु- निर्माण का कार्य चल रहा है।
- रामझूला पुल- खस्ताहाल
- बैराज मार्ग- एक विकल्प
- गरुड़ चट्टी ब्रह्मपुरी पुल- वाहनों के लिए
क्या भीड़ पर काबू पाना होगा प्रशासन के लिए चुनौतीपूर्ण ?
सूत्रों की मुताबिक, लक्ष्मण झूला पुल पर कावड़ियों की आवाजाही रोक लगाने के बाद सीमित संख्या में प्रशासन राम झूले से कावड़ियों की पैदल मार्ग नीलकंठ के लिए आवाजाही के लिए शुरू कर सकता है, लेकिन अधिक भार क्षमता उठाने के लिए अभी पुल वर्तमान स्थिति में नहीं है, जिस पर जल्द ही प्रशासन को कोई न कोई निर्णय लेना चाहिए। नीलकंठ से वापसी वाया बैराज पुल से करा दी जाएगी। वहीं, वाहनों के लिए बैराज मार्ग से जाना और आना ब्रह्मपुरी गरुड़ चट्टी पुल का एकमात्र साधन है। 22 जुलाई से कांवड़ यात्रा शुरू हो जाएगी, लेकिन अभी तक ट्रैफिक प्लान पर कोई भी बैठक नहीं हुई है। ऐसे में भीड़ पर काबू पाना प्रशासन के लिए बहुत चुनौतीपूर्ण होने वाला है।