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हरियाणा सरकार ने एक बार फिर Ram Rahim को दिया फरलो, जानिए अब कहां होगा बसेरा?

Ram Rahim: एक बार फिर हरियाणा सरकार ने जेल में बंद राम रहीम पर मेहरबानी किया है। राज्य सरकार ने हरियाणा विधान चुनाव से पहले ही राम रहीम को जेल से बाहर कर दिया है। जानकारी के लिए बता दें कि राम रहीम को 21 दिन का फरलो दिया गया है। फ़िलहाल राम रहीम जेल से बाहर है। चलिए जानते है मिले फरलो में राम रहीम कहां करेगा निवास और क्या होता है “फरलो”

क्या होता है फरलो ?

“फरलो” शब्द के दो अलग-अलग संदर्भों को समझने की कोशिश करते है, फरलो शब्द से तात्पर्य अनुपस्थिति की छुट्टी लेना है, जैसे किसी कारणवश काम से कुछ समय के लिए छुट्टी लेना। हालांकि, कानूनी दृष्टिकोण से “फरलो” का मतलब जेल से किसी दोषी को एक निर्दिष्ट समय अवधि के लिए अनुपस्थिति की छुट्टी देना होता है। प्रत्येक राज्य के जेल नियमों में फरलो देने के लिए विशेष नियम और प्रक्रिया होती है। बता दें कि इसकी अवधारणा सभी राज्यों में एक समान होती है, लेकिन इसे लागू करने की प्रक्रिया अलग-अलग होती है।

यूपी बरनावा आश्रम के लिए हुआ रवाना

प्रदेश सरकार ने उसे 21 दिन का फरलो दिया है। मंगलवार सुबह 6 बजकर 46 मिनट पर हनीप्रीत सुनारिया जेल से राम रहीम को लेकर यूपी के बरनावा आश्रम के लिए रवाना हुई। बता दें कि पिछले दिनों पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय ने शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक समिति (एसजीपीसी) की उस याचिका का निपटारा कर दिया था। इस याचिका में जेल में बंद डेरा सच्चा सौदा प्रमुख को अस्थायी रूप से रिहा किए जाने को चुनौती दी गई थी। न्यायालय ने कहा कि अस्थायी रिहाई की याचिका पर सक्षम प्राधिकारी द्वारा बिना किसी मनमानी या पक्षपात के विचार किया जाना चाहिए।

कुछ महीने पहले मिली थी 50 दिन की परोल-

SGPC ने अपनी याचिका में अपनी सलाह दी कि गुरमीत राम रहीम, जो हत्या और बलात्कार जैसे  गंभीर अपराधों के लिए कई सजाएं भुगत रहा है, यदि उसे रिहा किया गया, तो इससे भारत की संप्रभुता और अखंडता को खतरा हो सकता है और सार्वजनिक व्यवस्था पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है। गुरमीत राम रहीम को अपनी दो अनुयायियों से बलात्कार के आरोप में 20 साल की सजा सुनाई गई है और वह रोहतक जिले की सुनारिया जेल में बंद है। उसे 19 जनवरी को 50 दिन की पैरोल दी गई थी।

आदेश में क्या कहा गया ? 

अदालत ने अपने आदेश में SGPC की इस दलील को खारिज कर दिया गया है जिसमें उन्होंने कहा था कि डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम की पैरोल पर विचार करते समय हरियाणा सदाचारी बंदी (अस्थायी रिहाई) अधिनियम, 2022 के बजाय 1988 के अधिनियम को लागू किया जाना चाहिए था। अदालत ने पूरे तरह से यह स्पष्ट किया कि गुरमीत राम रहीम के मामले में पुलिस संभागीय आयुक्त ही सक्षम प्राधिकारी हैं। आदेश में यह भी कहा गया कि अगर गुरमीत राम रहीम द्वारा अस्थायी रिहाई के लिए कोई आवेदन किया जाता है, तो सक्षम प्राधिकारी को उस पर 2022 के अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार विचार करना चाहिए, और इस प्रक्रिया में कोई मनमानी, पक्षपात, या भेदभाव नहीं होना चाहिए। प्रावधानों के अनुसार और मनमानी या पक्षपात या भेदभाव के बिना विचार किया जाए।

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