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HomeराजनीतिManish Sisodia को किस आधार पर मिली जमानत, CBI-ED मामलों में क्या है अंतर 

Manish Sisodia को किस आधार पर मिली जमानत, CBI-ED मामलों में क्या है अंतर 

Manish Sisodia: दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को बड़ी राहत मिली है। सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें ED और CBI केस में शुक्रवार को जमानत दे दी। जानकारी के लिए बता दें कि दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री को पिछले साल मार्च में प्रवर्तन निदेशालय ( ED ) ने गिरफ्तार कर लिया था। ED से पहले सीबीआई ने उन्हें गिरफ्तार किया था। शुक्रवार को सिसोदिया की जमानत याचिका पर सुनवाई हुई जिसमें उन्हें राहत मिली है। सुप्रीम कोर्ट ने ट्रायल में देरी की वजह से उन्हें राहत दी है।

निजी मुचलके पर दी गई जमानत- 

आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता को पिछले साल 26 फरवरी को गिरफ्तार किया गया था। वह तब से ही तिहाड़ जेल में बंद थे । सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद ये संभावना है कि मनीष सिसोदिया आज ही जेल से बाहर आ सकते हैं। जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस केवी विश्वनाथन की बेंच ने सिसोदिया को 10 लाख रुपए के निजी मुचलके पर जमानत दी है। बेंच ने कहा, ‘अपील स्वीकार की जाती है। दिल्ली हाई कोर्ट के आदेश को रद्द किया जाता है ।उन्हें ED और CBI दोनों केसों में जमानत देते हुए जस्टिस बीआर गवई और केवी विश्वनाथन ने जांच एजेंसियों की अपील को खारिज कर दिया कि बेल के लिए आप नेता को ट्रायल कोर्ट जाना चाहिए ।

कोर्ट ने क्या दिया आदेश ?

बेंच ने कहा, ‘याचिकाकर्ता को ट्रायल कोर्ट और फिर हाई कोर्ट जाने को कहने का मतलब होगा कि वह सांप सीढी का खेल खेलें ।’ कोर्ट ने ट्रायल में देरी की वजह से सिसोदिया को जमानत देने का आदेश पारित किया । कोर्ट ने कहा, ‘एक नागरिक को एक जगह से दूसरे जगह भागते रहने को नहीं कहा जा सकता है क्योंकि यह संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत तेजी से ट्रायल की संवैधानिक गारंटी का उल्लंघन है।’ कोर्ट ने आदेश दिया कि सिसोदिया को 10 लाख रुपए के बेल बॉन्ड पर रिहा किया जाए। कोर्ट ने यह भी कहा कि सिसोदिया को अपना पासपोर्ट जमा कराना होगा ।

कोर्ट ने ED की किस मांग को किया अस्वीकार

 सूत्रों के मुताबिक,दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री को जमानत के दौरान सप्ताह में 2 बार थाने में हाजिरी लगानी होगी और उन्हें सोमवार और गुरुवार को थाने में जाना होगा। अदालत ने कहा कि वह गवाहों और सबूतों से छेड़छाड़ की कोशिश नहीं करेंगे। ED ने सुप्रीम कोर्ट से यह भी सिफारिश की कि उनके सचिवालय और CM आवास जाने पर प्रतिबंध लगा दी जाए, जिस तरह केजरीवाल को अंतरिम जमानत देते हुए CM ऑफिस जाने पर रोक लगाई गई है। हालांकि, कोर्ट ने ED की इस मांग को स्वीकार नहीं किया ।

 ED ने मनीष सिसोदिया को क्यों किया था गिरफ्तार ?

दरअसल, सिसोदिया शराब विक्रेताओं को रिश्वत देने के आरोपों का सामना कर रहे थे। ED द्वारा लगाए गए आरोप धन शोधन निवारण अधिनियम, 2002 के तहत हैं। इसके अलावा, CBI ने सिसोदिया पर भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 के तहत रिश्वत लेने का आरोप लगाया था। उनकी गिरफ्तारी से पहले  ED  ने उनसे तिहाड़ जेल में  लगभग दो दिन तक पूछताछ की थी। इसके बाद उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। ED ने राउज एवेन्यू कोर्ट से सिसोदिया से पूछताछ करने की इजाजत मांगी थी। पूछताछ के दौरान अधिकारियों ने सिसोदिया से शराब नीति में बदलाव के कारणों के बारे में पूछा। साथ ही उनसे इस मामले में ली गई रिश्वत के बारे में भी सवाल किए गए।

CBI ने क्यों किया था सिसोदिया की गिरफ्तारी ?

दिल्ली शराब घोटाला मामले में CBI  ने 26 फरवरी, 2023 को मनीष सिसोदिया को गिरफ्तार किया था। उस वक्त CBIने कहा था कि सिसोदिया पर लगे आरोप पर पूछे गए सवालों का जवाब नहीं देने और पूछताछ में सहयोग नहीं करने पर गिरफ्तार किया गया। पूछताछ के दौरान सीबीआई ने सिसोदिया को कई सबूत दिखाए, इसमें डिजिटल सबूत और दस्तावेज भी शामिल थे। सिसोदिया इन सबूतों के सामने कोई जवाब नहीं दे पाए थे। 

दोनों मामलों में क्या है अंतर ?

ED और CBI दिल्ली सरकार की नई शराब नीति में कथित घोटाले की अलग-अलग जांच कर रही हैं । ED नीति को बनाने और लागू करने में मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों की जांच कर रही है । वहीं, CBI की जांच नीति बनाते समय हुईं कथित अनियमितताओं पर केंद्रित है ।

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