उत्तराखंड। आजादी के बाद पहले जनसंघ और अब बीजेपी के मुख्य तीन एजेंडा रहे हैं इनमें पहला जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद-370 को हटाना था। दूसरा, अयोध्या में राममंदिर का निर्माण कराना और तीसरा पूरे देश में समान नागरिक संहिता लागू कराना। पहले दो एजेंडा पर काम खत्म करने के बाद अब बीजेपी यूनिफॉर्म सिविल कोड को लागू करने पर जोर दे रही है। इसी के पहले कदम के तौर पर उत्तराखंड में समान नागरिक संंहिता की रिपोर्ट विधानसभा में पेश की जाएग। राज्य सरकार का इरादा इसे अक्टूबर नवंबर तक राज्य में लागू कर देना है। अगर ये काम उत्तराखंड में हो गया तो इसी क्रम में देश के दूसरे राज्यों में ये लागू करने की कोशिश हो सकती है। हालांकि बीजेपी की अगुवाई वाली केंद्र सरकार पिछले टर्म में ही इसे लाना चाहती थी।
केंद्र सरकार ने तब 21वें विधि आयोग से यूसीसी पर सुझाव मांगे थे. विधि आयोग ने 2018 में ‘पारिवारिक कानून में सुधार’ नाम से सुझाव पत्र प्रकाशित किया। इसमें कहा गया था कि अभी देश में समान नागरिक संहिता की जरूरत नहीं है। उसके बाद 22वें विधि आयोग ने कहा इस पर फिर से विचार करना जरूरी है।
क्या है यूनिफॉर्म सिविल कोड?
- विवाह, तलाक, गोद लेने और संपत्ति में सभी के लिए एक नियम
- परिवार के सदस्यों के आपसी संबंध और अधिकारों में समानता
- जाति, धर्म या परंपरा के आधार पर नियमों में कोई रियायत नहीं
- किसी भी धर्म विशेष के लिए अलग से कोई नियम नहीं
UCC लागू हो तो क्या होगा?
- UCC के तहत शादी, तलाक, संपत्ति, गोद लेने जैसे मामले के लिए एक ही कानून
- हर धर्म में शादी, तलाक के लिए एक ही कानून
- जो कानून हिंदुओं के लिए, वहीं दूसरों के लिए भी
- बिना तलाक के एक से ज्यादा शादी नहीं कर पाएंगे
- शरीयत के मुताबिक, जायदाद का बंटवारा नहीं होगा
UCC लागू होने से क्या नहीं बदलेगा?
- धार्मिक मान्यताओं पर कोई फर्क नहीं
- धार्मिक रीति-रिवाज पर असर नहीं
- ऐसा नहीं है कि शादी पंडित या मौलवी नहीं कराएंगे
- खान-पान, पूजा-इबादत, वेश-भूषा पर प्रभाव नहीं