वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद मामले में कोर्ट के आदेश पर हुए सर्वे के बाद मंगलवार 17 मई को रिपोर्ट पेश की गई है मस्जिद में सर्वे के दौरान शिवलिंग मिलने और वहां पर उस पूरे क्षेत्र को सील करने की जानकारी दी गई । दोनों पक्षों ने अपनी दलीलों की सबूत के लिए अदालत से मोहलत मांगी है आपको बता दें कि 20 मई को मामले की अगली सुनवाई होगी वही दीवार तोड़ने वाली याचिका पर कल सुनवाई होगी। इस बीच वाराणसी सिविल कोर्ट ने कमिश्नर अजय मिश्रा को हटा दिया है आपको बता दें कि दावा यहां भी किया जा रहा है कि अजय मिश्रा के सहयोगींव जा नज़दीक ज आरपी सिंह मीडिया में जाकर लिख कर रहे हैं मुस्लिम पक्ष ने भी अजय मिश्रा को हटाए जाने की मांग की थी वही अजय प्रताप सिंह और विशाल सिंह सर्वे टीम का हिस्सा बने रहेंगे।
हालांकि, अब विशाल सिंह कोर्ट में रिपोर्ट जमा करेंगे रिपोर्ट दाखिल करने के लिए 2 दिन का समय दिया गया है उधर सुनवाई के बीच मुस्लिम पक्ष की ओर से अंजुमन इंतजा मिया कमेटी ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर करते हुए कहा है कि ज्ञानवापी मस्जिद का सर्वे करने का आदेश 1991 के ‘द प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट’ का उल्लंघन कर रहा है आखिर क्या है यह कानून और क्यों शिवलिंग मिलने के बाद भी मंदिर बनने के रास्ते में अड़ंगा लग सकता है।
चलिए जानते हैं क्या है ‘द प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट'(Places of Worship Act)
15 अगस्त 1947 के बाद ‘द प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट’ (Places of Worship Act) के तहत किसी भी धार्मिक और पूजा स्थल को किसी दूसरे धर्म के उपासना स्थल में नहीं बदला जा सकता अगर कोई ऐसा करता है तो उसे जेल भेजा जा सकता है कुल मिलाकर, (Places of Worship Act) इस एक्ट में कहा गया है कि आजादी के वक्त जो धार्मिक स्थल जिस स्थिति में थे वैसे ही रहेंगे यह एक्ट 11 जुलाई 1991 को लागू किया गया था।
तो क्या काशी-मथुरा पर काम नहीं करेगा यहां एक्ट?
‘द प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट’ (Places of Worship Act) 1991 की धारा 4 (1) में कहा गया है कि कोई भी धार्मिक स्थल 15 अगस्त 1947 को जिस स्थिति में थे जिस समुदाय का था, वह भविष्य में भी वैसे और उसी समुदाय का रहेगा हालांकि, कानूनी विशेषज्ञों का कहना है कि उस कानून के सेक्शन 4 का सब-सेक्शन तीन कहता है कि जो प्राचीन और ऐतिहासिक जगहें 100 साल से ज्यादा पुरानी है उन पर यह कानून लागू नहीं होगा 1991 एक्ट के तहत ही मुस्लिम पक्ष और कई सियासी नेताओं ने मस्जिद के सर्वेक्षण पर आपत्ति जताई है और पूजा स्थल (विशेष अधिनियम) 1991 और उसकी धारा 4 का हवाला देते हुए इस पर रोक लगाने की मांग भी की है।
क्या है यह पूरा मामला
आपको बता दें कि ज्ञानवापी मस्जिद मामले में 5 महिलाओं ने वाराणसी कोर्ट में श्रृंगार गौरी मंदिर में नियमित पूजा के लिए एक याचिका लगाई थी जिस पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने सर्वे का आदेश दिया था आपको बता दें कि 3 दिन तक चले सर्वे में सोमवार को मस्जिद में वजू करने वाली जगह पर 12 फीट का शिवलिंग मिलने का दावा हिंदू पक्ष द्वारा किया जा रहा है सर्वे की रिपोर्ट 17 मई को कोर्ट में पेश की गई है जहां इसकी सुनवाई के बाद कोर्ट ने शाम 4:00 बजे तक के लिए फैसला सुरक्षित रख लिया है।