One Nation-One Election: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली कैबिनेट ने “एक देश, एक चुनाव” (One Nation, One Election) के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। आपको बता दें कि इस प्रस्ताव का मुख्य उद्देश्य पूरे देश में लोकसभा और विधानसभा चुनावों को एक साथ कराने की व्यवस्था लागू करना है। मोदी कैबिनेट की बैठक में इस महत्वपूर्ण फैसले को मंजूरी दी गई,
“एक देश, एक चुनाव” का विचार प्रशासनिक खर्चों को कम करने, चुनावों की बार-बार होने वाली प्रक्रियाओं को सरल बनाने, और शासन में स्थिरता लाने के लिए सबसे महत्वपूर्ण माना जा रहा है। हालांकि, आपको बता दें, इस प्रस्ताव को किया में लाने के लिए संविधान संशोधन की जरूरत होगी। सूत्रों के मुताबिक, यह एक बड़ी कानूनी और प्रशासनिक प्रक्रिया होने वाली है।
One Nation-One Election: 15 दलों ने इसका किया विरोध
हमारे देश के जो पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद थे तब अध्यक्षता वाली समिति ने ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ के मुद्दे पर 62 पार्टियों से आपस में संपर्क किया था और इस पर जवाब देने वाले 47 राजनीतिक दलों में से 32 ने एक साथ चुनाव कराने के विचार का समर्थन किया, जबकि 15 दलों ने इसका विरोध किया। रिपोर्ट के अनुसार, कुल 15 पार्टियों ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी थी।
One Nation-One Election: “एक राष्ट्र, एक चुनाव” को लागू करने की दिशा में प्रतिबद्ध- अमित शाह
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने हाल ही में “एक राष्ट्र, एक चुनाव” (One Nation, One Election) के मुद्दे पर कहा था कि बीजेपी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार अपने मौजूदा कार्यकाल में ही इस प्रणाली को लागू करने का पूरा लक्ष्य रखती है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के तीसरे कार्यकाल के 100 दिन पूरे होने के अवसर पर एक संवाददाता सम्मेलन में शाह ने इस बात पर जोर दिया कि सरकार “एक राष्ट्र, एक चुनाव” को लागू करने की दिशा में प्रतिबद्ध है।
यह योजना बीजेपी के लोकसभा चुनाव घोषणापत्र में किए गए प्रमुख वादों में से एक है। इसका उद्देश्य चुनाव प्रक्रिया को आसान बनाना, खर्चों को कम करना, और चुनाव के कारण होने वाली बार-बार की अस्थिरता को खत्म करना है। हालांकि, इसे लागू करने के लिए संविधान में संशोधन और व्यापक सहमति की आवश्यकता होगी, क्योंकि यह चुनावी प्रणाली में बड़ा बदलाव होगा।
One Nation-One Election: क्या होगा फायदा ?
- चुनाव पर होने वाले करोड़ों के खर्च से बचत।
- बार बार चुनाव कराने से निजात।
- फोकस चुनाव पर नहीं बल्कि विकास पर होगा।
- बार-बार आचार संहिता का असर पड़ता है।
- काले धन पर लगाम भी लगेगी