गंगोत्री धाम के कपाट खुलते ही देश-विदेश के श्रद्धालु मां गंगा के दर्शन कर रहे हैं। अक्षय तृतीया से गंगा सप्तमी तक मां गंगा के निर्वाण पाषाण मूर्ति के दर्शन होंगे। उसके बाद उनके शृंगार रूप के दर्शन श्रद्धालु कर पाएंगे। यह परंपरा 19वीं सदी से चली आ रही है। क्योंकि इससे पूर्व गंगोत्री धाम में मात्र जलधारा की पूजा होती थी।
पुजारियों ने यहां छोटा मंदिर था बनाया
गंगोत्री मंदिर समिति के सचिव सुरेश सेमवाल ने बताया कि 18वीं सदी से पूर्व गंगोत्री में मात्र जलधारा की पूजा होती थी। पुजारियों ने यहां छोटा मंदिर बनाया था। 19वीं सदी में सन् 1805 के करीब गोरखा सेनापति अमर सिंह थापा ने गंगोत्री मंदिर का निर्माण करवाया। 1815 में प्रसिद्ध घुमकक्ड़ अंग्रेज डी फ्रेजर गंगोत्री पहुंचा। वह काफी लंबे समय तक गंगोत्री आता जाता रहा।