मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि अलग-अलग समय में चुनाव होने से बार-बार आचार संहिता लगती है, जिससे राज्यों के सारे काम रुक जाते हैं। जब भी चुनाव आता है, तो बड़ी संख्या में कार्मिकों को मूल कार्य से हटाकर चुनाव ड्यूटी में लगाना पड़ता है।
30-35 प्रतिशत तक खर्च की बचत होगी
मुख्यमंत्री ने कहा कि विधानसभा निर्वाचन का पूरे खर्च का भार राज्य सरकार वहन करती है और लोकसभा निर्वाचन का खर्च केंद्र सरकार उठाती है। दोनों चुनाव एक साथ कराए जाएंगे तो राज्य और केंद्र सरकार पर खर्च का भार समान रूप से आधा-आधा हो जाएगा। दोनों चुनाव एक साथ कराने से कुल खर्च में लगभग 30 से 35 प्रतिशत तक की बचत होगी। इसका उपयोग राज्य के स्वास्थ्य, शिक्षा, सड़क, जल, कृषि एवं महिला सशक्तीकरण जैसे अनेक क्षेत्रों में किया जा सकता है।पहाड़ी राज्य के लिए एक देश एक चुनाव महत्वपूर्ण
पहाड़ में लगते हैं अतिरिक्त संसाधन व अधिक समय
मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखंड के दुर्गम क्षेत्रों में मतदान केंद्रों तक पहुंचना कठिन होता है, जिसके कारण चुनाव की प्रक्रिया में अधिक समय और संसाधन लगते हैं। पर्वतीय क्षेत्रों में मतदाताओं के लिए चुनाव में भाग लेना भी चुनौतीपूर्ण होता है, बार-बार चुनाव होने से लोगों में मतदान के प्रति रुझान कम होता है और मतदान प्रतिशत भी घटता है।