Sunday, June 22, 2025

Roorkee: रकीब ने तीन पीढ़ियों की साख पर भी लगाया बट्टा, सेना की वर्दी सिलने के कार्य से जुड़ा है परिवार

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रकीब ने न केवल अपने देश से दगा किया बल्कि अपने पेशे और तीन पीढ़ियों की साख को भी दांव पर लगा दिया है। डोसनी गांव निवासी रकीब के परिवार की तीन पीढ़िया सैन्यकर्मियों की वर्दी और कपड़ों की सिलाई के काम से जुड़ी हैं।

रकीब के दादा असगर ने वर्षों पहले बठिंडा में सैन्य वर्दी सिलाई का काम शुरू किया था। इसके बाद उसके पिता इकबाल ने उनका काम संभाला। इकबाल के पांचों बेटों रईस, नासिर, आकिल, नाजिम और रकीब ने भी अपने दादाइलाही काम को अपनाते हुए उनसे सिलाई का हुनर सीखकर इसी पेशे को अपनाया। 

पिता की मौत के बाद उसने परिवार का कार्य संभाला
पांच भाइयों में रईस राजस्थान के सूरतगढ़, नासिर और नाजिम पंजाब के अमृतसर, आकिल उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद और रकीब बठिंडा में पिता के साथ सैनिकों की पोशाक सिलने का काम करता है। रकीब लगभग 12 साल पहले अपने पिता के पास बठिंडा चला गया था। पिता से सिलाई का काम सीखने के बाद तीन साल पहले पिता की मौत होने के बाद उसने परिवार का कार्य संभाला।

इतना ही नहीं उसके चाचा और चचेरा भाई भी रायवाला कैंट में यही कार्य करते हैं। सेना की पोशाक सिलकर ही परिवार की तीन पीढ़ियों की रोजी-रोटी चल रही थी। रकीब ने अपने देश और रोजी-रोटी के साथ ही पिता और दादा से मिले हुनर से भी दगा किया। रकीब ने जो किया उससे उसके परिवार की तीन पीढ़ियों की साख पर बट्टा दांव पर है। साथ ही सैन्य छावनियों में कार्य कर रहे परिवार के बाकी सदस्यों के लिए भी कई मुश्किलें खड़ी हो गई हैं। 

पांचों भाई रहते हैं बाहर

रकीब के परिवार में उसकी पत्नी और दो बच्चे हैं। इनमें एक बेटा चार और बेटी की उम्र तीन वर्ष है। रकीब के माता-पिता की तीन साल पहले मौत हो गई थी। रकीब और उसके पांचों भाई डोसनी गांव स्थित पुश्तैनी मकान में रहते हैं। पांचों भाई पंजाब, राजस्थान व उत्तर प्रदेश में रहते हैं। उनके पत्नी और बच्चे डोसनी में ही रहते हैं। रकीब और उसके भाई परिवार से मिलने के लिए अक्सर गांव में आते-जाते रहते हैं।

खुलकर बोलने से परहेज कर रहे हैं गांव वाले
कीब की गिरफ्तारी के बाद गांव के लोग हैरान हैं। हालांकि कोई भी मामले में खुलकर कुछ भी बोलने को तैयार नहीं है। लोगों का कहना है कि 10 -12 वर्षों से वह बठिंडा में रहकर काम कर रहा था। अक्सर गांव में आता रहता था लेकिन उसे देखकर कभी ऐसा नहीं लगा कि वह देशविरोधी कृत्य कर रहा होगा। वहीं, पुलिस सूत्रों के अनुसार, उसके परिवार की किसी प्रकार के आपराधिक इतिहास की कोई जानकारी अब तक सामने नहीं आई है।

पिता की मौत के बाद उसने परिवार का कार्य संभाला
पांच भाइयों में रईस राजस्थान के सूरतगढ़, नासिर और नाजिम पंजाब के अमृतसर, आकिल उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद और रकीब बठिंडा में पिता के साथ सैनिकों की पोशाक सिलने का काम करता है। रकीब लगभग 12 साल पहले अपने पिता के पास बठिंडा चला गया था। पिता से सिलाई का काम सीखने के बाद तीन साल पहले पिता की मौत होने के बाद उसने परिवार का कार्य संभाला।

इतना ही नहीं उसके चाचा और चचेरा भाई भी रायवाला कैंट में यही कार्य करते हैं। सेना की पोशाक सिलकर ही परिवार की तीन पीढ़ियों की रोजी-रोटी चल रही थी। रकीब ने अपने देश और रोजी-रोटी के साथ ही पिता और दादा से मिले हुनर से भी दगा किया। रकीब ने जो किया उससे उसके परिवार की तीन पीढ़ियों की साख पर बट्टा दांव पर है। साथ ही सैन्य छावनियों में कार्य कर रहे परिवार के बाकी सदस्यों के लिए भी कई मुश्किलें खड़ी हो गई हैं। 

पांचों भाई रहते हैं बाहर

रकीब के परिवार में उसकी पत्नी और दो बच्चे हैं। इनमें एक बेटा चार और बेटी की उम्र तीन वर्ष है। रकीब के माता-पिता की तीन साल पहले मौत हो गई थी। रकीब और उसके पांचों भाई डोसनी गांव स्थित पुश्तैनी मकान में रहते हैं। पांचों भाई पंजाब, राजस्थान व उत्तर प्रदेश में रहते हैं। उनके पत्नी और बच्चे डोसनी में ही रहते हैं। रकीब और उसके भाई परिवार से मिलने के लिए अक्सर गांव में आते-जाते रहते हैं।

खुलकर बोलने से परहेज कर रहे हैं गांव वाले
कीब की गिरफ्तारी के बाद गांव के लोग हैरान हैं। हालांकि कोई भी मामले में खुलकर कुछ भी बोलने को तैयार नहीं है। लोगों का कहना है कि 10 -12 वर्षों से वह बठिंडा में रहकर काम कर रहा था। अक्सर गांव में आता रहता था लेकिन उसे देखकर कभी ऐसा नहीं लगा कि वह देशविरोधी कृत्य कर रहा होगा। वहीं, पुलिस सूत्रों के अनुसार, उसके परिवार की किसी प्रकार के आपराधिक इतिहास की कोई जानकारी अब तक सामने नहीं आई है।

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