मानव-वन्यजीव संघर्ष कम करने के साथ वन्यजीवों की सुरक्षा बेहतर करने के लिए वन विभाग ने गश्त के तरीकों में बदलाव करने का फैसला किया है। अब वन्यजीवों की हलचल, उनके समय के हिसाब से वन कर्मी गश्त पर फोकस करेंगे। जानकारी जुटाने के लिए राजाजी टाइगर रिजर्व के काॅरिडोर में अध्ययन शुरू किया गया है।
मानव- वन्यजीव संघर्ष एक चुनौती बना हुआ है। हाल के वर्षों में बेहतर सुरक्षा प्रबंध समेत अन्य कारणों से बाघ, तेंदुओं की संख्या में इजाफा हुआ है। ऐसे में घटनाओं में कमी लाने के लिए कई स्तर पर प्रयास हो रहे हैं, अब राजाजी टाइगर रिजर्व ने वन्यजीवों के मूवमेंट के हिसाब से वन कर्मियों के गश्त का पैर्टन तय करने का फैसला किया है।
वन कर्मियों की गश्त के तरीके में होगा बदलाव
राजाजी टाइगर रिजर्व में तीनपानी, आशा रोड़ी- मोहान, चीला- मोतीचूर काॅरिडोर हैं, यह काॅरिडोर एक जंगल से दूसरे जंगल को जोड़ते हैं। निदेशक कोको रोसो कहते हैं कि इन काॅरिडोर में डब्ल्यूडब्ल्यूएफ के सहयोग से कैमरा ट्रैप के माध्यम से अध्ययन कराने का फैसला किया गया है। इस अध्ययन के माध्यम से यह जानने का प्रयास किया जाएगा कि कौन सा वन्यजीव, किस समय मूवमेंट करता है, किस क्षेत्र में करता है।
यह जानकारी मिलने के बाद वन कर्मियों की गश्त के तरीके में बदलाव किया जाएगा। वन कर्मी वन्यजीवों के आवागमन के हिसाब से गश्त करेंगे। इससे मानव- वन्यजीव संघर्ष को कम करने में मदद मिलेगी। इसके साथ ही अगर कोई विकास योजना बनाई जाती है, तो विभाग के पास संबंधित क्षेत्र वन्यजीवों का डेटा होगा, जिससे वन्यजीवों के लिए अंडर पास जैसी योजनाओं को बनाने में मदद मिल सकेगी। यह अध्ययन करीब एक महीने से शुरू किया गया है। ज्ञात हो कि राज्य बनने के बाद 2024 तक वन्यजीवों के हमलों में 1221 लोगों की मौत हुई थी।