पर्वतों की श्रंखला से घिरे राज्य उत्तराखंड में अधिकारियों और कर्मचारियों का पहाड़ से मोह भंग हो रहा है। सूत्रों के अनुसार, मंत्रियों के पास हर ट्रांसफर फाइल दुर्गम से सुगम, यानी देहरादून और हल्द्वानी, की आ रही है। इससे मंत्रियों और सरकार पर काफी दबाव है। बच्चे की पढ़ाई और अच्छी चिकित्सा सेवाओं के लिए हर सरकारी अधिकारी और कर्मचारी दुर्गम से सुगम में अपना ट्रांसफर चाहता है। इसके लिए वे कभी विधायकों, तो कभी मंत्रियों के पास जाते हैं। अब सवाल यह है कि अगर सभी शहरों में सेवाएं देंगे तो पहाड़ों में कौन रहेगा? अब मंत्री एक्शन में हैं और देखना होगा कि उनकी यह सख्त चेतावनी कितना असर करती है।
उत्तराखंड में अधिकारियों और कर्मचारियों को अब मंत्री के घर ट्रांसफर पोस्टिंग के लिए जाना महंगा पड़ सकता है। पशुपालन और कौशल विकास मंत्री सौरभ बहुगुणा ने अपने सचिव को आदेश जारी किए हैं कि विभागों के डायरेक्टर्स को सूचित करें कि ट्रांसफर के लिए सीधे मंत्री के घर जाना उचित नहीं है। मंत्री बहुगुणा ने कहा कि अगर कोई भी सरकारी अधिकारी या कर्मचारी ट्रांसफर के लिए उनके आवास पर आता है, तो उस पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।
वहीं दूसरी तरफ उत्तराखंड में शिक्षकों और कर्मचारियों के तबादलों के लिए सरकार ने 10 जुलाई तक समय बढ़ा दिया है। अब खास बात यह है कि तबादले केवल दुर्गम से सुगम या सुगम से दुर्गम नहीं, बल्कि सुगम से सुगम क्षेत्र में भी हो सकेंगे। अपर सचिव कार्मिक कर्मेंद्र सिंह के आदेश के मुताबिक, लोकसभा चुनाव के कारण कुछ विभागों ने तबादलों के लिए तिथि बढ़ाने का अनुरोध किया था। इसके अलावा, कुछ विभागों को पात्रता सूची बनाने में समस्या हो रही थी। आदेश में कहा गया है कि तबादले 15 प्रतिशत तक सीमित रहेंगे। अंतिम तिथि 10 जुलाई तक बढ़ा दी गई है।
आदेश में यह भी कहा गया है कि जो कर्मचारी पिछले चार साल या उससे अधिक समय से सुगम क्षेत्र में कार्यरत हैं, उनका निकट के सुगम क्षेत्र के दूसरे कार्यालय में तबादला किया जा सकेगा। यदि पद खाली नहीं है, तो दो कर्मचारियों के पारस्परिक तबादले किए जा सकते हैं। सुगम से सुगम क्षेत्र में तबादलों के लिए यह आदेश तबादला सत्र 2024-25 और आने वाले तबादला सत्रों में भी लागू रहेगा।