यदि आप गांव में रहते हैं या कभी गांव की तरफ गए होंगे तो रास्ते में या खेतों के आसपास आपने कई पेड़ देखे होंगे, जिनमें एक विशेष पेड़ होता है जिसे शीशम कहा जाता है इसे इंडियन रोजवुड भी कहा जाता है। शीशम की लकड़ी से फर्नीचर बनाया जाता है जो कि बहुत मजबूत और दीमकों के प्रति सुरक्षित होता है। इसके अलावा, शीशम के पत्ते भी बहुत उपयोगी होते हैं, जिनमें आयुर्वेदिक दवाओं में इस्तेमाल होने वाले गुण होते हैं।
शीशम के पत्तों का उपयोग गले में खराश, पेचिश, सिफलिस और गोनोरिया जैसे रोगों के इलाज में किया जाता है। इसके अलावा, इन पत्तों के अर्क को खून को साफ करने के लिए भी उपयोगी माना जाता है। सिरदर्द, ब्रोंकाइटिस, सूजन, संक्रमण, हर्निया और त्वचा संबंधी रोगों में भी शीशम के पत्तों के फायदे होते हैं। इनके अर्क का उपयोग डैंड्रफ को दूर करने और बालों को लंबा बनाने में भी किया जा सकता है, लेकिन इसका इस्तेमाल बिना डॉक्टर की सलाह के नहीं करना चाहिए।
एक अध्ययन में बताया गया है कि शीशम के पत्तों के अर्क में एनाल्जेसिक, एंटी-पायरेटिक, एंटी-डायबिटिक, एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटी-डायरियल गुण होते हैं। शीश के पेड़ की छाल को एंटी-नोसिसेप्टिव, एंटी-ऑक्सीडेंट और एंटी-स्पर्मेटोजेनिक माना गया है। इसके अलावा, इन पत्तों का अर्क इमारतों में दीमक नियंत्रण के लिए भी उपयोगी हो सकता है। शीशम की पत्तियों और छाल में एंटीनोसाइसेप्टिव गुण पहले के अध्ययनों में भी पाए गए हैं। इसलिए, इनका अर्क नर्वस सिस्टम के लिए भी फायदेमंद माना जाता है।
आयुर्वेद के अनुसार, शीशम के पत्तों का उपयोग एनीमिया को दूर करने में मददगार साबित हो सकता है। इसके बीज से पेट में अल्सर का इलाज किया जा सकता है। शीशम का तेल स्किन पर खुजली, ड्राईनेस और जलन को दूर करने में उपयुक्त हो सकता है। शीशम के विभिन्न हिस्सों का शरीर में उपयोग व्यापक रूप से किया जा सकता है। इसीलिए, इस पेड़ को एक वरदान माना जाता है।