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YOGA : शीर्षासन करने का क्या है सही तरीका, गिन लीजिये इसके फायदे

YOGA : योगासनों को स्वास्थ्य के लिहाज से काफी बेहतर माना जाता है. हर योगासन आपके शरीर के संतुलन, ताकत और लचीलेपन को बढ़ाकर उसे संपूर्ण स्वास्थ्य की तरफ ले जाता है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि योगासनों का राजा कौन है? आपको बता दें कि शीर्षासन (Sirsasana Benefits) को योगासनों का राजा माना जाता है. क्योंकि इसे करने के लिए आपको काफी शारीरिक संतुलन की आवश्यकता होती है और यह आपको अनगिनत स्वास्थ्य फायदे देता है. यह आसन हठ योगा के अंतर्गत भी आता है. आइए, शीर्षासन के फायदे (Shirshasana Benefits) और इसे करने का सही तरीका जानते हैं.

शीर्षासन योग का अभ्यास कैसे करें?

योग विशेषज्ञों के मुताबिक शीर्षासन योग का अभ्यास बड़े ही सावधानी से किया जाना चाहिए। इस योग का अभ्यास जितना लाभदायक है, गलत तरीके से करने से इससे गंभीर चोट लगने का भी खतरा होता है। शीर्षासन योग करने के लिए सबसे पहले मैट पर बैठ जाएं और आगे की ओर झुककर दोनों हाथों की कोहनियों को जमीन पर टिका दें। अब शरीर का बैलेंस बनाते हुए सिर के सहार उल्टे खड़े होने की कोशिश करें। कुछ समय तक इसी अवस्था में रहे और फिर वापस शुरुआती स्थित में आएं।

शीर्षासन योग करने के क्या लाभ हैं?

योग विशेषज्ञों के मुताबिक शीर्षासन योग का सही ढंग से नियमित अभ्यास किया जाए तो यह कई समस्याओं में राहत दिलाने में मदद कर सकता है।

  • गर्दन और कंधे, पेट और रीढ़ की मांसपेशियों को मजबूत करता है।
  • सिरदर्द, विशेषकर माइग्रेन से राहत दिलाता है।
  • चक्कर आने का इलाज करने में मदद करता है।
  • गुर्दे, लिवर, पेट, आंत और प्रजनन प्रणाली से संबंधित समस्याओं को दूर करने में मदद करता है।
  • खोपड़ी में रक्त का संचार बढ़ाता है। इससे बालों के झड़ने, बालों के सफेद होने और गंजापन को रोकने में मदद मिल सकती है।
  • पिट्यूटरी ग्रंथि के कामकाज में मदद करता है, जो सभी अंतःस्रावी ग्रंथियों के कामकाज को बढ़ावा देता है।
  • सिर में रक्त का संचार बढ़ने से मस्तिष्क स्वस्थ रहता है और इसके कार्यों को आसान बनाता है।

शीर्षासन करने में क्या सावधानी बरती जाए –

  1. यदि आपको उच्च रक्तचाप, हृदय रोग, सेरेब्रल या कोरोनरी थ्रॉम्बोसिस एवं ग्लूकोमा की समस्या है, तो शीर्षासन का अभ्यास न करें।
  2. सिर में ब्लड हेमरेज की समस्या, किडनी का रोग और स्लिप डिस्क की समस्या हो, तो इस आसन का अभ्यास (practice) करने से बचें।
  3. यदि आपका पेट पूरी तरह से भरा हो, शरीर में थकान हो, सिर दर्द या माइग्रेन की समस्या हो, तो इस आसन का अभ्यास न करें।
  4. शीर्षासन की अंतिम मुद्रा में शरीर को उर्ध्वाधर रखें और पीछे या आगे की ओर न झुकाएं, अन्यथा शरीर का बैलेंस बिगड़ सकता है और आपको चोट भी लग सकती है।
  5. यदि आपके शरीर में अशुद्ध खून (impure blood) हो, तो इस आसन का अभ्यास न करें अन्यथा अशुद्धियां मस्तिष्क में भी पहुंच सकती हैं।
  6. महिलाओं को मासिक धर्म और गर्भावस्था के दौरान शीर्षासन का अभ्यास नहीं करना चाहिए।
  7. यदि आपको चक्कर आ रहा हो, सिर में चोट लगी हो या तेज सिर दर्द हो रहा हो, तो शीर्षासन का अभ्यास न करें।
  8. यदि गर्दन में चोट लगी हो, तो शीर्षासन का अभ्यास न करें। इसके अलावा हार्निया (hernia), हाइपरटेंशन और मोटापे की समस्या (obesity) से पीड़ित व्यक्तियों को भी इस आसन का अभ्यास नहीं करना चाहिए।

शीर्षासन करने से पहले ये आसन करें-

  1. कर्नापीड़ासन (Karnapidasana or Ear Pressure or Knee to Ear Pose)
  2. ऊर्ध्व पद्मासन (Urdhva Padmasana or Inverted Lotus Pose)
  3. पिण्डासन (Pindasana or Embryo Pose)
  4. मत्स्यासन (Matsyasana or Fish Pose)
  5. उत्तान पादासन (Uttana Padasana or Raised Feet Pose)
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